प्रधानमंत्रियों के म्यूजियम की नई बिल्डिंग में नहीं होगी नेहरू की कोई भी याद
नई दिल्ली: भारत के प्रधानमंत्रियों की याद को सहेज कर रखने लिए तीन मूर्ति कॉम्प्लेक्स में बनने वाला म्यूजियम एक साल में तैयार हो जाएगा। सोमवार (16 अक्टूबर) को इस म्यूजियम का भूमि पूजन केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने किया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश के सभी प्रधानमंत्रियों से जुड़ी यादें यहां होंगी।” नेहरू मेमोरियल हेरिटेट बिल्डिंग के समीप बनने वाले इस म्यूजियम के निर्माण पर केंद्र सरकार कुल 271 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। शर्मा ने भूमिपूजन के मौके पर कहा, “तीन मूर्ति इस्टेट के पास 25.5 एकड़ जमीन है, जिसमें से नेहरू मेमोरियल बिल्डिंग ने कुछ जगह घेर रखी है। म्यूजियम का निर्माण इस सरकारी जमीन के खाली हिस्से में करने का निर्णय लिया गया।” हालांकि, इस नए बिल्डिंग में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से जुड़ी किसी याद को नहीं रखा जाएगा। उनकी यादें पुराने भवन में ही रहेंगी।
भूमि पूजन के मौके पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा के अलावा, केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी, नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी के निदेशक शक्ति सिन्हा और इसके कार्यकारी परिषद के सदस्य स्वप्न दासगुप्त व अन्य लोग मौजूद थे। इस मौके पर सिन्हा ने कहा कि, “बनने वाले म्यूजियम में नरेंद्र मोदी सहित देश के 14 प्रधानमंत्रियों की यादें और राष्ट्र के प्रति उनके योगदान को प्रदर्शित किया जाएगा।” यह पूछने पर कि अभी तक देश में 15 प्रधानमंत्री बने हैं, ऐसे में यदि यहां 14 से जुड़ी यादें ही रखी जाएगी तो किनकी यादों को यहां नहीं रखा जाएगा? इस सवाल के जवाब में सिन्हा ने कहा, “किसी को बाहर नहीं रखा जाएगा। नेहरू की यादों को नई बिल्डिंग में शिफ्ट नहीं किया जाएगा। उनकी यादें जहां हैं (नेहरू मेमोरियल म्यूजियम), वहीं रहेगी। वह उनका आवास भी था।”
देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कुछ ही दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी की ‘प्रकृति और चरित्र’ को बदलने के केंद्र सरकार के फैसले पर चिंता व्यक्त की थी। साथ ही उन्होंने आग्रह किया कि इसे किसी तरह के विवाद में नहीं घसीटा जाए। इस मामले पर मंत्री महेश शर्मा ने कहा, “पत्र का जवाब दिया गया है। बीते समय में किसी ने नए म्यूजियम को लेकर आपत्ति जताई होती, तो ऐसा इसलिए के वे अपनी असली प्रकृति से अवगत नहीं थे। भारत के प्रधानमंत्री कोई व्यक्ति विशेष नहीं हैं, बल्कि प्रधानमंत्री का कार्यालय एक संस्थान है।” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नए म्यूजियम के निर्माण के दौरान या बाद में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम के किसी हिस्से को नहीं छुआ जाएगा। इस जमीन को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं होना चाहिए क्योंकि यह सरकारी संपत्ति है।
महेश शर्मा ने कहा कि, “वर्तमान में तीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी को समर्पित तीन मेमोरियल है। लेकिन नए म्यूजियम में भविष्य में देश में बनने वाले प्रधानमंत्रियों की यादों और उनके योगदान को भी संजो कर रखा जाएगा। यहां सिर्फ 14 प्रधानमंत्रियों की घडि़यों और छातों को नहीं, बल्कि उनके संदेश को भी संजोया जाएगा।”
वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश, जो कि नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी सोसायटी के सदस्य हैं, ने नए म्यूजियम के निर्माण के खिलाफ आवाज उठायी है। वे भूमि पूजन समारोह में भी नहीं दिखे। इस बाबत नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी के निदेशक शक्ति सिन्हा कहते हैं, “चूंकि, समारोह का आयोजन एक छोटी सूचना के बाद किया गया, इसलिए यह निर्णय लिया गया कि सोसायटी के 34 सदस्यों को आमंत्रित नहीं किया जाए क्योंकि उनमें से कई दिल्ली के बाहर हैं। वहीं, कार्यकारी परिषद के आठ सदस्यों को आमंत्रित किया गया।”