गीता का संदेश किसी वर्ग विशेष के लिए नहीं: विजय सिंगल
लखनऊ में हुआ ‘भगवद् गीता – सेइंग इट द सिम्पल वे’ का विमोचन
लखनऊ: हिंदू धर्म- माया से मोक्ष तक, गंगा: अ डिविनिटी इन फ्लो और स्पार्कलिंग पंजाब जैसी किताबों के लेखक विजय सिंगल ने आज लखनऊ में ‘भगवद् गीता – सेइंग इट द सिम्पल वे’ पुस्तक का विमोचन किया | एक पत्रकार वार्ता में बताया कि आज के प्रतियोगी समय में भगवद् गीता की शिक्षाओं का बड़ा महत्व है। इसमें जीवन के उद्देश्य, मानव अस्तित्व, भौतिक उपलब्धियों और आध्यात्मिक संतुष्टि आदि के बारे में विस्तार से व्याख्या की गयी है।
अर्जुन को अपना कर्तव्य निभाने की शिक्षा देते हुए, भगवान कृष्ण ने आत्म-साक्षात्कार के कई तरीकों का वर्णन किया है, जैसे कि कर्म योग, ज्ञान योग, ध्यान योग आदि। हालांकि, उनके अनुसार, पथ बहुत ही आसान और प्रभावी है और वह है भक्ति या भक्ति योग। ईश्वर के समक्ष पूर्ण समर्पण से ही वास्तविक मानसिक शांति प्राप्त होती है।
गीता का संदेश किसी एक वर्ग विशेष के लिए नहीं है, वरन् इसकी शिक्षाएं सभी पर समान रूप से लागू होती हैं, भले ही कोई किसी भी लिंग, जाति या संप्रदाय का हो।
गीता में आत्म-साक्षात्कार के लिए वर्णित पथ एक्सक्लूसिव नहीं हैं। इसमें कृष्ण पूरे विश्वास से कहते हैं- सभी पथ मेरी ही ओर आते हैं। व्यक्ति अपनी प्रकृति और परिस्थितियों के अनुसार किसी भी पथ को चुनने के लिए स्वतंत्र है। किसी पर कोई बात थोपी नहीं गयी है। महाप्रभु, जैसा कि श्लोक 18.63 के अंत में अर्जुन से कहते भी हैं- मैंने यह ज्ञान तुम्हें बता दिया है, जो कि सभी रहस्यों से बड़ा रहस्य है। इसके बारे में गंभीरता से सोचो, और फिर जैसा चाहो वैसा करो।
किताब की प्रमुख विशेषताएं:
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हिंदी व अंग्रेजी – दोनों भाषाओं में।
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सरल, सीधी और समझने में आसान भाषा।
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किताब समकालीन शैली में प्रस्तुत की गयी है। यह एक सैल्फ-हैल्प बुक है, जिसमें व्यावहारिक ज्ञान मौजूद है।
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प्रत्येक श्लोक का दोनों भाषाओं में अनुवाद, ताकि समझने में आसानी रहे।
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कठिन शब्दों की व्याख्या ब्रेकेट में की गयी है। मूल अर्थ को नहीं छेड़ा है।
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श्लोक इस ढंग से पेश किये गये हैं कि उनकी अलग से व्याख्या की जरूरत नहीं है। लेखक के विचारों से प्रभावित हुए बिना पाठक अपनी सोच से श्लोक को समझ सकता है।
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एक पृष्ठ पर सिर्फ दो श्लोक और उनके अनुवाद के चलते पुस्तक को पढ़ने में आसानी रहती है।
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उत्कृष्ट चित्रण, अधिकांशतः प्रकृति आधारित, उपयुक्त स्थानों पर ही।
लेखक के बारे में
एक पूर्व ब्यूरोक्रेट, विजय सिंगल आध्यात्मिकता, दर्शन, मनोविज्ञान, धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में कई किताबें लिख चुके हैं। वे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखते हैं।
इनकी पहली किताब, बिहाइंड साइकोलॉजीः सर्चिंग फॉर द रूट्स का प्रकाशन वर्ष 2002 में हुआ था। तब से, इन विषयों पर वे कई किताबें लिख चुके हैं।
वे श्री अतुल भारद्वाज के साथ मिलकर, दो कॉफी टेबल बुक्स की रचना कर चुके हैं- गंगा: अ डिविनिटी इन फ्लो और स्पार्कलिंग पंजाब। पहली किताब का प्राक्कथन अमिताभ बच्चन ने लिखा है और दूसरी का धर्मेंद्र ने। गंगा किताब का रिपिं्रट भी आ चुका है। इसे आमिर खान द्वारा रिलीज किया गया था।
उनकी पिछली किताब, हिंदू धर्म- माया से मोक्ष तक का विमोचन 2013 में लंदन की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में लॉर्ड स्वराज पॉल ने किया था।
पंजाब के मलेर कोटला, जिला संगरूर, में 1951 में जन्मे, विजय सिंगल 1976 में भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हुए। वे नेशनल डिफेंस कॉलेज के पूर्व छात्र हैं। वर्ष 2010 में वे मुंबई में आयकर विभाग के चीफ कमिश्नर के पद से सेवानिवृत्त हुए।