आंध्र प्रदेश में उपचुनाव नहीं कराएगा चुनाव आयोग
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने लोकसभा के कार्यकाल में एक साल से कम समय बचने की दलील देते हुये आंध्र प्रदेश की पांच सीटों पर उपचुनाव कराने की जरूरत से इंकार किया है। आयोग ने मंगलवार को जारी बयान में स्पष्ट किया कि आंध्र प्रदेश की पांच सीटें इस साल 20 जून को खाली हुयी थी, जबकि लोकसभा का कार्यकाल अगले साल तीन जून को खत्म होगा। इसलिये जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 151 ए के अनुसार लोकसभा के कार्यकाल की अवधि एक साल से कम बची होने पर किसी सीट के रिक्त होने की स्थिति में उपचुनाव कराने की जरूरत नहीं है।
चुनाव आयोग ने लोकसभा के कार्यकाल में एक साल से कम समय बचने की दलील देते हुये आंध्र प्रदेश की पांच सीटों पर उपचुनाव कराने की जरूरत से इंकार किया है।
आयोग ने मंगलवार को जारी बयान में स्पष्ट किया कि आंध्र प्रदेश की पांच सीटें इस साल 20 जून को खाली हुयी थी, जबकि लोकसभा का कार्यकाल अगले साल तीन जून को खत्म होगा। इसलिये जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 151 ए के अनुसार लोकसभा के कार्यकाल की अवधि एक साल से कम बची होने पर किसी सीट के रिक्त होने की स्थिति में उपचुनाव कराने की जरूरत नहीं है।
आयोग ने कर्नाटक की तीन लोकसभा सीटों के साथ ही आंध्र प्रदेश की पांच रिक्त सीटों के लिये उपचुनाव घोषित नहीं करने संबंधी कुछ मीडिया रिपोर्टों पर स्पष्टीकरण देते हुये कहा कि कर्नाटक में उपचुनाव वाली तीनों सीटें 18 और 21 मई को रिक्त हुयी थी। आयोग ने कहा कि लोकसभा के शेष कार्यकाल की अवधि से एक साल पहले इन सीटों के खाली होने के कारण इनके रिक्त होने के छह महीने के भीतर तीनों सीटों पर उपचुनाव कराने की कानूनी अनिवार्यता का पालन करते हुये उपचुनाव कार्यक्रम घोषित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह शनिवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों के साथ कर्नाटक की बेल्लारी, शिमोगा और मांड्या सीट के लिये उपचुनाव कार्यक्रम भी घोषित किया था।
आयोग ने स्पष्ट किया कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत लोकसभा की सीट रिक्त होने से छह महीने के भीतर उपचुनाव कराना अनिवार्य है। लेकिन अगर कोई सीट लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने से एक साल की अवधि में रिक्त होती है तो उस पर उपचुनाव कराने की कोई जरूरत नहीं है। आयोग ने कहा कि इस आधार पर अब आंध्र प्रदेश की 20 जून को खाली हुयी पांच सीटों पर उपचुनाव कराना जरूरी नहीं रह गया है।
आयोग ने कर्नाटक की तीन लोकसभा सीटों के साथ ही आंध्र प्रदेश की पांच रिक्त सीटों के लिये उपचुनाव घोषित नहीं करने संबंधी कुछ मीडिया रिपोर्टों पर स्पष्टीकरण देते हुये कहा कि कर्नाटक में उपचुनाव वाली तीनों सीटें 18 और 21 मई को रिक्त हुयी थी। आयोग ने कहा कि लोकसभा के शेष कार्यकाल की अवधि से एक साल पहले इन सीटों के खाली होने के कारण इनके रिक्त होने के छह महीने के भीतर तीनों सीटों पर उपचुनाव कराने की कानूनी अनिवार्यता का पालन करते हुये उपचुनाव कार्यक्रम घोषित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह शनिवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों के साथ कर्नाटक की बेल्लारी, शिमोगा और मांड्या सीट के लिये उपचुनाव कार्यक्रम भी घोषित किया था।
आयोग ने स्पष्ट किया कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत लोकसभा की सीट रिक्त होने से छह महीने के भीतर उपचुनाव कराना अनिवार्य है। लेकिन अगर कोई सीट लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने से एक साल की अवधि में रिक्त होती है तो उस पर उपचुनाव कराने की कोई जरूरत नहीं है। आयोग ने कहा कि इस आधार पर अब आंध्र प्रदेश की 20 जून को खाली हुयी पांच सीटों पर उपचुनाव कराना जरूरी नहीं रह गया है।