अब मोदी सरकार में 2G घोटाले का शक
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और बीएसएनएल को दिया नोटिस
नई दिल्ली: 2G स्पेक्ट्रम को लेकर एक और घोटाला होने का शक गहरा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़ी एक याचिका पर केंद्र की मोदी सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी BSNL को नोटिस जारी किया है। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने अरुणाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर के ही एक अन्य राज्य असम के दो जिलों में 2G नेटवर्क मुहैया कराने का फैसला लिया है। याचिका में दावा किया गया है कि दो निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए काफी ज्यादा कीमत में 2G नेटवर्क टेक्नोलॉजी खरीदी गई है। साथ ही याची का कहना है कि 4जी नेटवर्क इससे कहीं कम कीमत में उपलब्ध था, इसके बावजूद यह कदम उठाया गया। अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और BSNL को नोटिस कर जवाब तलब किया है। बता दें कि अरुणाचल प्रदेश की सीमा चीन से लगती है। इस इलाके में अक्सर ही चीनी घुसपैठ की खबरें आती रहती हैं।
हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका: केंद्र सरकार ने अरुणाचल और असम के दो जिलों (कार्बी आंगलांग और दिमा हसाओ) को 2G नेटवर्क से जोड़ने का फैसला किया था। इस बाबत दूरसंचार विभाग और BSNL के बीच 16 जनवरी, 2018 में समझौता हुआ था। टेलीकॉम वॉचडॉग नामक गैर सरकारी संस्था ने सरकार के इस फैसले को चुनौती दी थी। इसके मुताबिक, BSNL ने 2G नेटवर्क के लिए जरूरी उपकरण खरीदने को लेकर दिल्ली की दो कंपनियों (विहान नेटवर्क्स लिमिटेड ओर हिमाचल फ्यूचरिस्टिक कम्यूनिकेशंस लिमिटेड) के साथ करार किया था। याचिका में आरोप लगाया गया है कि संदिग्ध परिस्थितियों में आउटडेटेड 2G टेक्नोलॉजी हासिल करने के लिए दो निजी कंपनियों को 2,258 करोड़ रुपये देना था। गैर सरकारी संस्था ने दूरसंचार आयोग के उस फैसले (दिसंबर, 2017) का भी हवाला दिया, जिसमें भविष्य की परियोजनाओं के लिए 2G-कम-4G स्पेक्ट्रम न खरीदने की बात कही गई थी। हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार के निर्णय को नीतिगत फैसला बताते हुए अगस्त में याचिका खारिज कर दी थी।
BSNL के DPR दिया था हवाला: हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में टेलीकॉम वॉचडॉग ने टॉवर पर आने वाले खर्च को लेकर BSNL की ओर से तैयार विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) का भी हवाला दिया था। संस्था के अनुसार, सरकारी दूरसंचार कंपनी ने दूरसंचार विभाग को नवंबर, 2017 में डीपीआर सौंपा था। गैर सरकारी संस्था ने हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में डीपीआर का हवाला देते हुए दावा किया था कि BSNL ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि देशभर के 1 लाख जगहों पर 4G टेक्नोलॉजी वाला टॉवर स्थापित करने के लिए 11,811.51 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी। इसका मतलब यह हुआ कि एक टॉवर पर 11.81 लाख रुपये का खर्च आएगा। टेलीकॉम वॉचडॉग ने दावा किया कि 2G-cum-4G टेक्नोलॉजी वाले टॉवर लगाने पर प्रति टॉवर 2.54 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। ऐसे में केंद्र के फैसले से सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान होगा। संस्था ने दावा किया कि 50,000 गांवों को कवर करने के लिए 4G स्पेक्ट्रम वाले टॉवर लगाने पर 5,905 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जबकि 2G-cum-4G टॉवर लगाने पर 1,27,000 करोड़ रुपये का खर्च होगा।