कवि प्रदीप कुमार ‘खालिस’ की काव्यकृति ‘मदन माधुरी’ का लोकार्पण
लखनऊ: भव्य एवं विशाल 16वें राष्ट्रीय पुस्तक मेले में कवि प्रदीप कुमार ‘खालिस’ द्वारा रचित काव्यकृति ‘मदन माधुरी’ पुस्तक का लोकार्पण कार्यक्रम मोती महल वाटिका में बड़े ही उल्लासपूर्ण वातावरण में आयोजित हुआ।
देश के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार डा. महेश ‘दिवाकर’, डी.लिट्., संस्थापक अध्यक्ष, अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य कला मंच, मुरादाबाद और मंचस्थ डाॅ. विद्या बिन्दु सिंह, डा. ऊषा सिन्हा, डाॅ. मनोरमा लाल, गुंजन तिवारी द्वारा ‘मदन माधुरी’ पुस्तक का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मंचस्थ अतिथियों द्वारा सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन और पुष्प अर्पण से हुआ।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डाॅ. महेश दिवाकर ने कहा कि ‘मदन माधुरी’ के विचारों को आज के विषाक्त सामाजिक वातावरण में अत्यन्त महत्व है। अगर हमें समाज को सही दिशा देनी है और इस विश्व से आतंकवाद व नस्लवाद जैसी बुराईयों को दूर करना है तो घृणा और द्वेष का परित्याग करके ‘मदन माधुरी’ पुस्तक में दिए गये शाश्वत प्रेम संदेश को अपने जीवन में उतारना होगा। उन्होंने आगे यह कहा कि प्रेम ही सारी समस्याओं का समाधान है क्योंकि वह सार्वभौमिक सत्य है।
दूरदर्शन की वरिष्ठ गायिका ‘रंजना दीवान’ द्वारा ‘मदन माधुरी’ पुस्तक के छन्दों का गाकर सुनाया गया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री शीला पांडे द्वारा किया गया।
समारोह में साहित्यकार डाॅ. विद्या बिन्दु सिंह ने कहा कि जो इंसान अंदर से निर्मल और पारदर्शी हो जाता है उसे ईश्वर की असीम कृपा प्राप्त होती है। प्रकृति ऐसे इंसान को अपना सर्वस्य लुटाने को व्याकुल हो जाती है। साहित्यकार डा. ऊषा सिन्हा ने कहा कि ‘मदन माधुरी’ काव्य रचना में एकाग्रता, रचनात्मकता तथा ग्रहणशीलता के विराट ईश्वरीय दर्शन होते हैं।
साहित्यकार डाॅ. मनोरमा लाल ने कहा कि कवि प्रदीप ‘खालिस’ ने सचमुच आपने ध्यान के सागर की गहनतम गहराई में डुबकी लगाकर विचार रूपी सुन्दर-सुन्दर मोतियों का उपहार मानव जाति को दिया है। शैक्षिक एवं आध्यात्मिक चिन्तक गुंजन तिवारी ने कहा कि कवि प्रदीप ‘खालिस’ समाज के समक्ष काव्य, साहित्य, लेखन, राष्ट्रीय विकास, मानवता तथा विश्व बन्धुत्व के विचारों तथा कार्यों की एक जीती-जागती मिसाल है। इस हेतु मानव जाति सदैव आपकी ऋणी रहेगी।
रचनाकार प्रदीप कुमार ‘खालिस’ द्वारा ‘मदन माधुरी’ पर अपने विचार प्रकट करते हुए सबके प्रति हार्दिक आभार प्रकट किया गया। उन्होंने कहा कि वैसे तो ‘मदन माधुरी’ पुस्तक समाज के सभी वर्गों व व्यक्तियों के लिए समान रूप से उपयोगी है। यह पुस्तक जहाँ एक ओर सभी को शाश्वत प्रेम संदेश देती है तो वहीं दूसरी ओर मनुष्य को समाजोनुकूल जीवन पद्धति अपनाने की प्रेरणा भी देती है।