एमपी-राजस्थान में मतदाता सूची गड़बड़ी की याचिका का चुनाव आयोग ने SC में किया विरोध
नई दिल्ली: मध्यप्रदेश और राजस्थान के आगामी विधान सभा चुनाव से संबंधित कांग्रेस की याचिका का चुनाव आयोग ने याचिका का विरोध किया है. सुप्रीम कोर्ट 8 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई करेगा और चुनाव आयोग को ये बताना है कि मध्यप्रदेश में फर्जी मतदाता सूची को लेकर उन्होंने क्या कार्रवाई की है. इस मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने याचिका का विरोध किया है. आयोग ने कहा है कि जहां मतदाता सूची में कुछ गड़बड़ी थी वहां तुरंत कार्रवाई की गई है. याचिकाकर्ता के ये आरोप बेबुनियाद है कि हमने कुछ नही किया है. आयोग ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जहां से मतदाता सूची का डेटा लिया है वो गलत है. चुनाव आयोग ने कहा कि कोर्ट का फ़ैसला अपना पक्ष में रखने के लिए कोर्ट को गुमराह किया गया है और जानबूझ कर कोर्ट में गलत दस्तावेज दिए गए. आयोग ने मांग की कि उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा ये लिस्ट क्या है? याचिकाकर्ता ने कहा कि जो पब्लिक डोमेन में था उसे हमने कोर्ट के सामने पेश किया. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि चुनाव आयोग का कहना गलत है कि ये कोर्ट का फैसला अपने हक में करने के लिए किया गया है. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि हमने इसकी जानकारी मुख्य चुनाव आयुक्त को दी थी. इस दौरान चुनाव आयोग ने याचिका का विरोध किया.
आयोग ने कहा कि जहां मतदाता सूची में कुछ गड़बड़ी थी वहां तुरंत कार्रवाई की गई है. याचिकाकर्ता के ये आरोप बेबुनियाद है कि हमने कुछ नहीं किया. मध्यप्रदेश और राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. इससे पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ और राजस्थान कांग्रेस की ओर से सचिन पायलट की याचिका पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया था.
चुनाव आयोग ने हलफनामा दायर कर कहा है कि वह कांग्रेस और उसके नेताओं के बताए तरीकों के अनुसार, देश में चुनाव कराने के लिए कतई बाध्य नहीं है. चुनाव आयोग ने अपने हलफनामे में कहा कि कांग्रेस एक खास अंदाज में चुनाव कराने के दिशा-निर्देश जारी न करवाए, क्योंकि चुनाव आयोग पहले से ही कानूनी प्रावधान के तहत चुनाव कराता है. आयोग का कहना है कि कांग्रेस की याचिका आधारहीन है और इसलिए सुप्रीम कोर्ट कमलनाथ की याचिका खारिज करे और जुर्माना लगाए.