अवैध सम्बन्ध अब अपराध नहीं
नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने एडल्टरी यानी शादीशुदा महिला के साथ फिजिकल रिलेशन बनाने को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया है. इससे पहले अगर कोई मर्द किसी शादीशुदा महिला से उसके पति की इजाज़त के बिना संबंध बनाता था, तो उसे 5 साल तक की सजा हो सकती थी, लेकिन अब इस मामले में किसी को कोई सजा नहीं मिलेगी. हालांकि, एडल्टरी तलाक लेने का एक आधार होगा.
सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों के संविधान पीठ ने आईपीसी की धारा 497 और सीआरपीसी की धारा 198 (2) का असंवैधानिक करार दे दिया. पांचों जजों ने चार अलग-अलग फैसले लिखे और सभी ने एक ही राय दी.
दरअसल, 1860 के इस कानून में एक शादीशुदा महिला को उसके पति की जायदाद के तौर पर देखा गया था. कानून में कहा गया कि अगर कोई व्यक्ति किसी की पत्नी के साथ बिना इजाजत संबंध बनाता है, तो ये एक जुर्म माना जाएगा. साथ ही इसमें शिकायत करने का अधिकार सिर्फ उस महिला के पति को दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने आज इस कानून को रद्द करते हुए कहा कि किसी भी औरत को उसके पति की प्रॉपर्टी के तौर पर नहीं देखा जा सकता. पत्नी कोई chatal यानी बंदी नहीं है. ये कानून महिला की गरिमा के खिलाफ है.
फैसले में कहा गया है कि एडल्टरी की वजह से शादी खराब नहीं होती, बल्कि खराब शादी की वजह से एडल्टरी होती है. इसके लिए किसी पर केस करने या सजा देने का मतलब है कि आप दुखी को और दुख दे रहे हैं.
कोर्ट ने यह भी कहा कि पति-पत्नी को एक दुसरे से समर्पित रहना एक आइडियल सिचुएशन हो सकता है, लेकिन समाज के अपेक्षाओं को किसी पर थोपा नहीं जा सकता.
धारा 497 केवल उस पुरुष को अपराधी मानती है, जिसके किसी और की पत्नी के साथ संबंध हैं. पत्नी को इसमें अपराधी नहीं माना जाता. जबकि आदमी को पांच साल तक जेल का सामना करना पड़ता है. कोई पुरुष किसी विवाहित महिला के साथ उसकी सहमति से शारीरिक संबंध बनाता है, लेकिन उसके पति की सहमति नहीं लेता है, तो उसे पांच साल तक के जेल की सज़ा हो सकती है. लेकिन जब पति किसी दूसरी महिला के साथ संबंध बनाता है, तो उसे अपने पत्नी की सहमति की कोई जरूरत नहीं है.
बता दें कि इससे पहले 8 अगस्त को हुई सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा था कि एडल्टरी अपराध है और इससे परिवार और विवाह तबाह होता है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली संवैधानिक बेंच ने सुनवाई के बाद कहा था कि मामले में फैसला बाद में सुनाया जाएगा.