नई दूरसंचार नीति को कैबिनेट की मिली मंज़ूरी
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नयी दूरसंचार नीति को मंजूरी दे दी। इस नई नीति को राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति (एनडीसीपी), 2018 का नाम दिया गया है। इसके तहत 2022 तक क्षेत्र में 100 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित करने और 40 लाख रोजगार के अवसरों के सृजन का लक्ष्य है। एक आधिकारिक सूत्र ने पीटीआई भाषा से कहा कि मंत्रिमंडल ने एनडीसीपी को मंजूरी दे दी है।
नीति के मसौदे के तहत एनडीसीपी द्रुत गति की ब्रॉडबैंड पहुंच बढ़ाने, 5 जी और आप्टिकल फाइबर जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकी के उचित मूल्य में इस्तेमाल पर केंद्रित है। मसौदे में कर्ज के बोझ से दबे दूरसंचार क्षेत्र में नयी जान फूंकने के लिए स्पेक्ट्रम शुल्क आदि को तर्कसंगत बनाने का प्रस्ताव किया गया है। प्रस्तावित नयी दूरसंचार नीति में सभी को 50 मेगाबिट प्रति सेकेंड की गति वाले ब्रॉडबैंड की पहुंच उपलब्ध कराने, 5जी सेवाओं तथा 2022 तक 40 लाख नए रोजगार के अवसरों के सृजन का प्रावधान है।
इसमें डिजिटल संचार तक सतत और कम मूल्य में पहुंच सुनिश्चित करने के लिए 'स्पेक्ट्रम के महत्तम मूल्य के प्रावधान को शामिल किया गया है। स्पेक्ट्रम का ऊंचा मूल्य तथा अन्य संबंधित शुल्क दूरसंचार सेवा क्षेत्र की प्रमुख चिंता है। इस क्षेत्र पर करीब 7.8 लाख करोड़ रुपये के कर्ज का बोझ है।
सरकार ने बुधवार को चीनी उद्योग के लिए 5,500 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी। इसके तहत गन्ना किसानों को उत्पादन सहायता में दोगुना की वृद्धि की गई है जबकि विपणन वर्ष 2018-19 के लिए 50 लाख टन के निर्यात के लिए मिलों को परिवहन सब्सिडी देना शामिल है। मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की यहां हुई बैठक में इससे संबंधित खाद्य मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी । इसमें चीनी मिलों को गन्ने के बकाये के भुगतान में सहयोग के लिए देश में इस समय चीनी के भंडार की समस्या के समाधान का प्रस्ताव है। मिलों पर गन्ना किसानों का 13,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बुधवार को कहा कि मंत्रिमंडल ने जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) को सरकारी कंपनी में परिवर्तित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। जेटली ने मंत्रिमंडल के फैसलों की संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा कि इसमें 50 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र और शेष हिस्सेदारी समानुपातिक आधार पर राज्यों की होगी।
फिलहाल जीएसटी नेटवर्क कंपनी में केंद्र तथा राज्यों की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है। यह कंपनी नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को आईटी ढांचा सुविधा उपलब्ध कराती है। शेष 51 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी क्षेत्र के पांच वित्तीय संस्थान … एचडीएफसी लि., एचडीएफसी बैंक लि., आईसीआईसीआई बैंक लि., नेशनल स्टाक एक्सचेंज रणनीतिक निवेश कंपनी तथा एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लि. के पास है। जीएसटी परिषद इससे पहले जीएसटीएन को 100 प्रतिशत सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी में बदलने को मंजूरी दे चुकी है।