नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में आधार पर फैसले के लिए गठित पांच जजों की संवैधानिक पीठ में से एक जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस सीकरी द्वारा सुनाए गए फैसले से अलग राय रखी. उन्होंने कहा कि आधार को धन विधेयक के रूप में पारित किया जाना संविधान के साथ धोखा है. यह संविधान के अनुच्छेद 110 का उल्लंघन करता है और इस आधार पर इसे खारिज किया जा सकता है.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मोबाइल आज के समय में हर किसी की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है. ऐसे में इसे आधार से जोड़ना लोगों की निजता, स्वतंत्रता और ऑटोनॉमी के लिए खतरा बन सकता है. मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के प्रावधान ऐसे हैं कि लगता है जैसे हर बैंक एकाउंट खुलवाने वाला व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग करने वाला है. बैंक एकाउंट खोलने वाले हर व्यक्ति को ये समझना कि वो भविष्य में आतंकवादी बन सकता है, गलत है.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने आगे कहा, 'आधार प्रोग्राम ने सूचना की निजता और डेटा प्रोटेक्शन के अधिकारों का हनन किया है. यूआईडीएआई ने खुद स्वीकार किया है कि उसके पास काफी महत्त्वपूर्ण डेटा है जो कि निजता के अधिकार का उल्लंघन है.'

उन्होंने कहा कि सामाजिक कल्याणकारी स्कीमों का लाभ न दे पाना भी मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है. यूएडीएआई की नागरिकों के डेटा को सुरक्षित रखने की कोई संस्थागत ज़िम्मेदारी नहीं है. इतने अधिक डेटा की सुरक्षा को लेकर कोई रेग्युलेटरी मेकैनिज़म भी नहीं है. हालांकि अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करने वाला होने के बावजूद भी इस वक्त बिना आधार के भारत मं रह पाना मुश्किल है.