जिकरे शहादते इमाम हुसैन दहशतगर्दी के खात्में का बेमिसाल मार्ग दर्शन : सैयद अयूब अशरफ
लखनऊ: ज़िकरे शहादते इमामें हुसैन में हजरत इमामें हुसैन की शहादत का जिक्र करते हुए सैयद अयूब अशरफ किछौछवी ने कहा कि हज़रत इमामें हुसैन दुनिया ए इस्लाम की वह अज़ीम ज़ात का नाम है जिसने करबला के मैदान में ज़ालिम और जाबिर हुकुमत के खिलाफ अपनी घराने के साथ कुर्बानीयों को गवारा किया मगर इस्लाम की हक्कानियत के परचम को झुकने नही दिया यही वजह है कि हर सम्प्रदाय के लोग हज़रत इमामे हुसैन को मानते है और अगर इमामें हुसैन के पैगाम को आम कर दिया जाए तो दुनिया से दहशतगर्दी का खात्मा हो जाएगा। मगर आज भी इन्सानियत के दुश्मन उनकी इस अजी़म कुबानियों के दिन भी अमन को कायम न होने की अपनी नकाम कोशिशों में लगें रहते है। लेकिन उनकों शायद यह नही मालुम की ज़ुल्म की जिन्दगी ज्यादा दिन की नही होती है ज़ालिम को एक दिन ज़रूर मिटना पड़ता है यही वजह है कि हमारा हुसैन कल भी जिन्दा था और आज भी जिन्दा है। किसी शायर ने खुब कहा…………
एक बार इन्सान को बेदार तो हो लेने दों
फिर हर कौम पुकारेगी हमारे है हुसैन।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से इस वर्ष मोहर्रम के परम्परागत जुलूसों को शान्ति पूर्व निकलवाने में जिला प्रशासन ने जिस सुझबुझ का परिचय दिया वह सराहनीय है प्रशासनिक व्यवस्था बड़ी ही चाकचौबंद थी ज़िला के सभी आला अधिकारी अपनी प्रशासनिक सेवा को बड़ी ही जिम्मेदारी से निभाया। कुछ शरारती तत्व शान्ति व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश में लगे थें मगर प्रशासनिक अधिकारीयों की सुझबुझ ने उनकी कोशिशों को नाकाम कर दिया।
मजलिस में आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिशन यूथ के अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अहमद मियाॅ, हजरत आरिफ मियाॅ नक्षबन्दी, सैयद गुलाम जैनुल, दिलदार अली सिद्दीकी, सुन्नी हुसैनी बोर्ड के अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अरशद, अब्दुल रहमान मुशाहिदी आदि अधिक संख्या में लोग मौजूद थें।