नई दिल्‍ली: नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला के आखिरी दिन सवालों के जवाब देते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कई मुद्दों पर विचार रखे. भागवत ने कहा, 'जो लोग भारत में रहते हैं वो हिंदू हैं. लेकिन वो कहने से हिचकिचाते हैं. सभी अपने लोग हैं. एकता भारत की परंपरा रही है. उन्‍होंने कहा, 'अन्‍य मतपंथों के साथ तालमेल करने वाली एकमात्र विचारधारा, ये भारत की विचार धारा है, हिंदुत्‍व की विचार धारा है. भारत में रहने वाले सबलोग हिंदू ही हैं, पहचान की दृष्टि से, राष्‍ट्रीय दृष्टि से. हिंदुत्व, Hinduness, Hinduism गलत शब्द हैं, ism एक बंद चीज मानी जाती है, यह कोई इस्म नही है, एक प्रक्रिया है जो चलती रहती है, गांधी जी ने कहा है कि सत्य की अनवरत खोज का नाम हिंदुत्व है, एस राधाकृष्णन जी का कथन है कि हिंदुत्व एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है.'

संघ प्रमुख ने मंगलवार को कहा था, हिंदुत्व मूल्य समुच्चय का नाम है और मुस्लिमों को स्‍वीकार करना इसका हिस्‍सा है. उन्‍होंने कहा था कि हिंदू राष्‍ट्र यह मतलब नहीं है कि यहां मुस्लिमों के लिए कोई जगह नहीं है. अगर हम मुस्लिमों को स्‍वीकार नहीं करेंगे तो यह हिंदुत्‍व नहीं है.'

गौरक्षा के सवाल पर बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा, 'केवल गायों के मुद्दे पर ही क्‍यों, किसी भी मामले पर कानून हाथ में लेना गलत है, गुनाह है. इसके लिए कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. लेकिन गाय एक आस्‍ता का मुद्दा है. गौरक्षा तो होनी चाहिए. संविधान का भी मार्गदर्शक तत्‍व है तो उसका पालन करना चाहिए. लेकिन ये गौरक्षा केवल कानून से नहीं होती है. गौरक्षा करने वाले देश के नागरिक गाय को पहले रखें. गाय को रखें नहीं और खुला छोड़ देंगे तो उपद्रव होगा, तो गौरक्षा के बारे में आस्‍था पर प्रश्‍न लगता है. कई लोग इस पर काम कर रहे हैं कि कैसे तकनीक के जरिए गायों के उपयोग को सभी के प्रतिदिन के जीवन में शामिल किया जाए. वो गायों की रक्षा की बात करते हैं, वो मॉब लिंचिंग में शामिल नहीं हैं. वे समाज की भलाई के लिए काम करते हैं. वो केवल संघ से जुड़े नहीं हैं. पूरा जैन समुदाय इसके लिए कार्यरत है. कई मुस्लिम भी हैं तो बहुत अच्‍छे से गौशाला चला रहे हैं. उन्‍हें लिंचिंग से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, उनको प्रोत्‍साहित करना चाहिए.'