ईमाम हुसैन की शहादत से हक और बातिल पहचान हुई: सै. जुनैद अशरफ किछौछवी
लखनऊ: आॅल इण्डिया हुसैनी सुन्नी बोर्ड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सैयद जुनैद अशरफ किछौछवी ने मोहर्रम के मौके पर कहा कि किसी वली ने क्या खूब कहा है कि हज़रत ईमाम हुसैन लाइलाहा इल्ललाह की बुनियाद हैं। मैं सोच मंे पड़ गया कि इमाम हुसैन लाइलाहाया की बुनियाद कैसे हो सकते हैं। बुनियाद ऐसी चीज़ होती है जिस पर पूरी इमारत खड़ी होती है और वह भी लाइलाहा इल्ललाह की बुनियाद। हर इमारत को कायम रखने के लिए मज़बूत बुनियाद होना ज़रूरी है। और इस्लाम की बुनियाद हज़रते इमाम हुसैन को ठहराया गया। यह अज़ीम शहादत जो हुजुर सल्लललाहो अलैहि वसल्लम की तरफ से हज़रते ईमाम हुसैन ने कर्बला में पेश करके इस्लाम को हमेशा-हमेशा के लिए ज़िंदा कर दिया, इस शहादत के तुफैल में मोमिनीन की ज़बानों पर कलमा लाइलाहा इल्ललाह है। करोड़ो मुसलमान दुनिया में हैं। वजह ईमान हुसैन हैं, मस्जिदों से अज़ानों की आवाजे़ आ रही हैं वजह शहादते इमाम हुसैन हैं, क्यांेकि इस कलमाए लाइल्लाहा को पढ़ाने वाले सरवरे कौनैन हैं और इसी कलमाए लाइल्लाहा को बचाने वाले ईमाम हुसैन हैं। इसी शहादत की वजह से मुसलमान नमाज़, रोज़ा, ज़कात, हज़ कायम किए हुए है। लिहाज़ा मुसलमानों इस शहादत की अहमियत को समझो, इसी शहादत ने यज़ीदी फिक्र को दुनिया से सामने लाकर खड़ा कर दिया। हक और बातिल की पहचान बताई। ज़ालिम के जुल्म को कैसा खत्म किया जाता है। अच्छा और बुरे को बड़े ही हिकमते अमली से अलग-अलग कर दिया। सब्र और नमाज़ से कामयाब होना का तरीका बताया। एक बार फिर यज़ीदी फिक्र सर उठा रही हैं हमें चाहिए कि ईमाम हुसैन के किरदार को अपनाकर इस यज़ीदियत को दफन करना है। किसी शायर ने क्या खूब कहा कि दीन की खातिर आन बान देते हैं, सिर्फ सर ही नहीं खानदान देते हैं, घराना तो देखिए मेरे हुसैन का, अरे दूध पीते बच्चे भी जान देते हैं।