शिवपाल ने की गठबंधन में मोर्चे को रखने की मांग
लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) में हाशिये पर होने के कारण पिछले दिनों समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाने वाले शिवपाल सिंह यादव ने कहा है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव अगर ‘साम्प्रदायिक बीजेपी‘ के खिलाफ लड़ने की बात करते हैं तो उन्हें बसपा के साथ प्रस्तावित गठबंधन में उनके मोर्चे को भी शामिल कराना चाहिये. यादव ने कहा ‘अगर वह (अखिलेश) साम्प्रदायिक पार्टी भाजपा के खिलाफ लड़ने की बात करते हैं तो उन्हें सपा और बसपा के गठबंधन में समाजवादी सेक्युलर मोर्चे को भी शामिल कराना चाहिये. ऐसा न होने पर हमारा मोर्चा आगामी लोकसभा चुनाव में मैनपुरी को छोड़कर बाकी सभी 79 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने को तैयार है.‘
उन्होंने कहा ‘अगर हमें गठबंधन में शामिल नहीं किया जाता है तो भी हमारे पास उन सीटों को हासिल करने का मौका रहेगा जो सपा और बसपा द्वारा छोड़ी जाएंगी. सभी समाजवादी हमारे पक्ष में हैं. हम 20 से 30 सीटें जीतेंगे.‘
सपा संस्थापक और अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के साथ रिश्तों के बारे में यादव ने कहा ‘मेरे साथ उनका आशीर्वाद है. मैंने उन्हें मोर्चे के अध्यक्ष पद और मैनपुरी सीट से टिकट की पेशकश की है. मैं मोर्चे का संयोजक हूं. अगर नेताजी (मुलायम) अध्यक्ष का पद स्वीकार नहीं करते हैं, तो हम बाद में विचार करेंगे.‘ भविष्य की अपनी योजनाओं के बारे में यादव ने कहा कि वह फिलहाल मोर्चे को मजबूत करने में लगे हैं.
शिवपाल सिंह यादव ने सोमवार को कहा कि उन्हें ‘नेताजी’ यानी अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद प्राप्त है. उन्होंने यह भी कहा कि सपा में मुलायम और अपने साथ हुए ‘‘अपमान’’ के बाद उन्हें मजबूरन अलग पार्टी बनानी पड़ी. अगला लोकसभा चुनाव लड़ने की अपनी पार्टी की तैयारियों पर शिवपाल ने यहां बताया, ‘हम समान विचारधारा वाली छोटी पार्टियों के साथ मिलकर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. हम समाजवादी और सेक्यूलर मूल्यों के साथ चुनाव में उतरेंगे और सामाजिक न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे.’
यह पूछे जाने पर कि क्या सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का समर्थन उन्हें प्राप्त है, इस पर पूर्व मंत्री ने कहा, ‘जी हां, ‘नेताजी’ का आशीर्वाद हमारे साथ है.’
शिवपाल से जब पूछा गया कि उत्तर प्रदेश में पहले से कई बड़ी पार्टियां होने के कारण सेक्यूलर मोर्चा चुनावी रेस में अपनी जगह कैसे मजबूत करेगा, इस पर उन्होंने कहा, ‘हमारी लड़ाई को किसी गठबंधन या पार्टी विशेष के संदर्भ में मत देखें. अगर आपकी बात मानें तो ऐसे में तो भारत में सिर्फ दो दल होने चाहिए.’
चुनाव नजदीक आते-आते आप किसी अन्य पार्टी में विलय तो नहीं कर लेंगे, इस सवाल पर शिवपाल ने कहा, ‘नहीं, इसका तो सवाल ही नहीं उठता. अगर हमें किसी अन्य दल में जाना होता तो न हमारे पास प्रस्तावों की कमी थी और न ही अवसरों की.’
क्या इस अलगाव का फायदा किसी तीसरे पक्ष को मिलेगा, इस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल ने कहा, ‘सपा को एकजुट रखने के लिए मैं जो कुछ कर सकता था, मैंने किया. सपा अपने मूल सिद्धांतों से भटक चुकी है. लाखों प्रतिबद्ध मेहनती समाजवादी कार्यकर्ताओं को अपमानित एवं उपेक्षित किया गया. नेताजी का और हमारा भी समय-समय पर अपमान किया गया. सपा को उसकी मूल विचारधारा की ओर लौटाने के मेरे सारे प्रयास व्यर्थ साबित हुए.'