माल्या-नीरव को भगाने वाला CBI अधिकारी PM मोदी का करीबी: राहुल गांधी
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को भी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर अपना हमला जारी रखा. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के एक ''करीबी शख्स'' ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को देश से बाहर भेजने में मदद की. उन्होंने कहा कि ये शख्स सीबीआई में है और उसी ने माल्या के खिलाफ लुकआउट नोटिस को नरम बनाया था.
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, "सीबीआई ज्वाइंट डायरेक्टर एके शर्मा ने माल्या के लुकआउट नोटिस को नरम बनाया. जिससे माल्या फरार हो गया. मिस्टर शर्मा गुजरात कैडर के अधिकारी हैं और सीबीआई में पीएम के करीबी हैं. यही अधिकारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के भागने के प्लान का इंचार्ज रहे."
कांग्रेस लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली पर माल्या को बैंक लोन फ्रॉड करने और देश से भगाने में मदद करने का आरोप लगा रही है. कांग्रेस इस मुद्दे पर जेटली के इस्तीफे की मांग कर रही है. गौरतलब है, राहुल गांधी के ये ट्वीट माल्या के उस बयान के बाद आए हैं, जिसमें माल्या ने मार्च 2016 में देश छोड़ने से पहले जेटली से मुलाकात करने का दावा किया था. हालांकि, वित्तमंत्री ने अपने खिलाफ लगे इन आरोपों को खारिज किया है.
लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट्स कोर्ट के बाहर 12 सितंबर को शराब कारोबारी माल्या ने कहा, "मैंने जाने से पहले वित्तमंत्री से मुलाकात की थी." इसी अदालत में माल्या के प्रत्यर्पण केस की सुनवाई चल रही है. 62 वर्षीय माल्या पिछले साल अप्रैल से प्रत्यर्पण वारंट पर जमानत पर है. माल्या पर करीब 9 हजार करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी का आरोप है.
कांग्रेस के इन आरोपों पर पलटवार करते हुए बीजेपी ने दावा किया है कि कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने भगोड़े कारोबारी को बढ़ावा और संरक्षण दिया. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि माल्या और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के परिवार से संबंधों के चलते बैंकों पर पूर्व यूपीए सरकार के दौरान कारोबारी को लोन देने का दबाव पड़ा. जिसमें सभी मानकों का उल्लंघन किया गया. बदले में उन्होंने राहुल गांधी के इस्तीफे की मांग की.
गोयल ने कहा, "18 अगस्त 2010 को कंपनी का एक लेटर आरबीआई को भेजा गया. 27 अगस्त को इस मामले का निस्तारण कर दिया गया. अक्टूबर 2011 को माल्या ने मनमोहन सिंह को धन्यवाद दिया और कहा कि उसे आरबीआई से और मदद की जरूरत है. जिसके बाद आरबीआई को उसकी फिर से मदद करनी पड़ी."