नई दिल्ली: एचआईवी एवं एड्स के मरीजों के साथ भेदभाव करना अब अपराध की श्रेणी में माना जाएगा. ऐसा करने वालों को दो साल तक की जेल और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. इस संबंध में केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की ओर से एचआईवी/एड्स अधिनियम, 2017 की अधिसूचना जारी कर दी गई है. अधिसूचना में बताया गया है कि 10 सितंबर से इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया है.

एचआईवी/एड्स अधिनियम, 2017 को अप्रैल में पारित किया गया था. हालांकि अधिनियम परित होने के बाद भी इसे लागू न किए जाने के कारण दिल्‍ली हाईकोर्ट ने इसे स्‍वत: संज्ञान में लेते हुए स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय को जमकर फटकार लगाई थी. इस अधिनयिम के लागू हो जाने के बाद एचआईवी या एड्स पीड़ितों को संपत्‍ति में पूरा अधिकार और स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं से जुड़ी हर मुमकिन मदद मिल सकेगी. अधिनियम में साफ किया गया है कि इस तरह के मरीजों से भेदभाव को अपराध की श्रेणी में माना जाएगा.

ह्यूमन इम्यूनोडेफिसिएंशी वायरस एंड एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंशी सिंड्रोम (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल) बिल, 2017 नाम का ये एक्ट एचआईवी कम्यूनिटी के लिए कानून मजबूत करने के लिए पास किया गया है. इससे इस समुदाय के लोगों को लीगल सैंक्टिटी यानी कानूनी शुद्धता यानी न्याय का अधिकार दिया जाएगा.

इस बिल के तहत भारत में एचआईवी को रोकने और फैलने से रोका जाएगा. खास बात ये है कि इस बिल के अंदर ऐसा प्रावधान कर दिया गया है, जिससे किसी एचआईवी पीड़ित के साथ भेदभाव करना अपराध घोषित होगा. UNAIDS गैप रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2015 तक 20 लाख के आस-पास लोग एचआईवी पीड़ित थे. अकेले 2015 में 68,000 से ज्यादा एड्स से संबंधित मौतें हुई थीं, वहीं 86,000 नए लोगों में एचआईवी इन्फेक्शन के लक्षण पाए गए थे. अब तक ये संख्या लाखों में बढ़ गई होगी. इसके साथ ही एचआईवी/एड्स पीड़ितों के साथ भेदभाव की समस्या अलग है ही. इसलिए ये एक्ट काफी अहम है.