अलीगढ: अलीगढ़ मुस्लिम विश्‍वविद्यालय (AMU) ने हॉस्‍टल में रहने वाले छात्रों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें छात्रों को शॉर्ट्स या बरमूडा न पहनने की सलाह दी गई है। सर शाह सुलेमान हॉल में रहने वाले छात्रों को सिर्फ शेरवानी या फॉर्मल्‍स ही पहनने को कहा गया है। इसके अलावा हॉस्‍टल मेस के अटेंडेंट को वेटर कहने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। उसके नाम से पहले 'मियां' या 'भाई' लगाकर संबोधित करने का फरमान दिया गया है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्‍वविद्यालय एक बार फिर से विवादों में है। विश्‍वविद्यालय प्रशासन ने फ्रेशर्स के लिए ‘क्‍या करें, क्‍या न करें’ की सूची जारी की है। इसमें यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने वाले नए छात्रों के लिए ड्रेस कोड का भी उल्‍लेख किया गया है। प्रशासन ने यूनिवर्सिटी हॉस्‍टल में रहने वाले छात्रों के लिए नए नियम-कायदे तय किए हैं। इसके तहत छात्रावास में रहने वाले छात्रों के लिए शॉर्ट्स, बरमूडा, स्लिपर (चप्‍पल) और यहां तक कि कुर्ता-पायजामा पहनकर हॉस्‍टल से बाहर आने को प्रतिबंधित कर दिया गया है। छात्र प्रतिबंधित परिधानों की सूची में शामिल ड्रेस को पहनकर हॉस्‍टल के मेस में भी नहीं जा सकते हैं। विश्‍वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में सर शाह सुलेमान हॉल के छात्रों को फॉर्मल ड्रेस जैसे काले रंग की शेरवानी या शर्ट-ट्राउजर और फॉर्मल जूते पहनने को कहा गया है। हॉस्‍टल से बाहर निकलने पर फ्रेशर्स को इन निर्देशों का पालन करना होगा। रीडिंग और कॉमन रूम के लिए भी ड्रेस कोड लागू होंगे। आदेश में स्‍पष्‍ट तौर पर कहा गया है कि यूनिवर्सिटी की संस्‍कृति और परंपराओं को बनाए रखने के लिए इन निर्देशों का पालन करना जरूरी है।

जूनियर के साथ जाने वाले सीनियर छात्र को करना होगा खर्च: AMU की ओर से जारी ताजा आदेश पर सर शाह सुलेमान हॉल के प्रोवोस्‍ट डॉक्‍टर सदाफ जैदी के हस्‍ताक्षर हैं। इसमें कहा गया है, ‘ये नियम-कायदे यूनिवर्सिटी हॉस्‍टल में रहने वाले उन छात्रों के लिए है जो विश्‍वविद्यालय की समृद्ध संस्‍कृति और परंपराओं से रूबरू नहीं हैं। इसके कारण छात्र ऐसी गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं जो इस महान शिक्षण संस्‍थान के लिए अभिशाप बन जाते हैं।’ AMU के नए दिशा-निर्देशों में सिर्फ ड्रेस कोड का ही उल्‍लेख नहीं किया गया है, बल्कि वरिष्‍ठ छात्रों की जिम्‍मेदारियां भी तय की गई हैं। इसमें कहा गया है कि यदि कोई सीनियर स्‍टूडेंट जूनियर के साथ किसी ढाबा या कैफे पर जाता है तो पूरा खर्च सीनियर छात्र को ही उठाना पड़ेगा। इसके अलावा फ्रेशर्स को अपने साथियों (नाम न जानने की स्थिति में) को पार्टनर कह कर संबोधित करने को कहा गया है। इसके अलावा हॉस्‍टल मेस के अटेंडेंट को वेटर के बजाय उनके नाम के पहले ‘मियां’ या ‘भाई’ लगाकर बुलाने का भी निर्देश दिया गया है। प्रोवोस्‍ट के ऑर्डर में फ्रेशर्स को किसी दूसरे छात्र के गेस्‍ट के साथ मेहमान के तौर पर ही पेश आने को कहा गया है।

AMU की सफाई: मामले के संज्ञान में आने के बाद AMU के प्रवक्‍ता शफी किदवई ने सफाई देने की कोशिश की है। उन्‍होंने कहा कि नए नियम-कायदे मूल रूप से एडवायजरी हैं। किदवई ने बताया कि विश्‍वविद्यालय प्रशासन मामूली शुल्‍क पर सभी छात्रों को शेरवानी उपलब्‍ध कराता है। कुछ दिनों पहले ही विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की एक समिति ने AMU की संस्‍कृति को जमींदारी कल्‍चर बताया था, जिसे विश्‍वविद्यालय ने खारिज कर दिया था।