राष्ट्रीय पुस्तक मेले में मुनव्वर राना सहित कई फनकार हुए सम्मानित
लखनऊ: ‘अब बहुत नये ढंग की किताबें आ रही हैं। सोचा नहीं था कि इतनी किताबें ले लूंगा, पर किताबों में सामग्री के नये पैटर्न की बदौलत लेलीं, अभी और भी परीक्षाएं देनी हैं।- कइना गोंडा से नौकरी के साक्षात्कार के लिए आए दीनानाथ का था। प्रतापगढ़ से भाई के संग आई अफशां बोलीं- नई टेक्नालाॅजी के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं का तरीका भी बदल रहा है, जमाने के संग चलना है तो ये नई किताबें ही गाइडंेस दंेगी।
प्रभात प्रकाशन के स्टाल पर देश भी की हर तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अनेक विषयों की लगभग 120 पुस्तकों की एकदम नई सीरीज उपलब्ध है। इनमें, सामान्य ज्ञान, करेण्ट अफेयर्स, देश के राज्य, अध्यापक भर्ती, आल अबाउट यूपीएससी, आप भी आइएएस बन सकते हैं, हाऊ टू फेस आइएएस इंटरव्यू, प्राध्यापक भर्ती जैसी किताबें शामिल हैं। स्टाल संख्या 64 में स्कूली व प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी हिन्दी-अंग्रेजी निबंध आदि के संग मनोरमा इयर बुक खासकर युवाओं की पसंद बनी हुई है। स्कूली विद्यार्थियों और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी किताबें मेले के बहुत से स्टालों पर हैं। केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के स्टाल पर नये गुजराती-हिन्दी कोश व वृहद् हिन्दी कोश के साथ बहुत सी किताबें शोधार्थियों के मतलब की हैं। राधाकृष्ण-राजकमल के स्टाल पर नोबेल पुरस्कार कोश, कई तरह के थिसारस व शब्दकोष हैं। सुबह 11 से रात नौ बजे तक जारी निःशुल्क प्रवेश वाले इस राष्ट्रीय पुस्तक मेले में सभी ग्राहकों को पुस्तकों पर न्यूनतम 10 प्रतिशत की छूट मिल रही है। यह मेला हिन्दी दिवस 14 सितम्बर तक चलेगा।
ये उद्गार हैं यहां रवीन्द्रालय लाॅन चारबाग में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले में आने वाले पुस्तक प्रेमियों के। अनेक विषयों के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में सहायक साहित्य भी खूब है।
प्रमुख आयोजनों में आज यहां प्रथम लाइफ टाइम अचीवमेण्ट अवार्ड के लिए चुने गए मशहूर शायर मुनव्वर राना के लिए उनके प्रतिनिधियों ने ग्रहण किया। वे इलाज के सिलेसिले में अचानक कल दिल्ली चले गए। इसके साथ ही परवेश जैन के संचालन में चले सम्मान समारोह में महापौर संयुक्ता भाटिया व भाजपा प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने लखनऊ सेवा रत्न सम्मान से अभिनेता डा.अनिल रस्तोगी, शायर मुहम्मद अली साहिल, लोकगायिका पद्मा गिडवानी, रचनाकार रंगनाथ मिश्र सत्य, सौरभ मौर्या, दयानन्द पाण्डे, आकाशवाणी निदेशक पृथ्वीराज चैहान, बाल साहित्यकार संजीव जायसवाल संजय, प्रसारणकर्ता आत्मप्रकाश मिश्र, मुनव्वर अंजार, डा.अमिता दुबे, समाजसेवी सुल्तान शाकिर को नवाजा गया। उद्घोषिका बिंदु जैन का सम्मान उनके पिता ने ग्रहण किया। इस अवसर पर महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि पुस्तकें अनमोल हैं। उनका विनाश असम्भव है। हमारे वैदिक ग्रंथ और ज्ञान इन्हीं पुस्तकों की बदौलत पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ रहा है। अटलबिहारी बाजपेयी जी के न रहने पर भी उनका साहित्य हमारा मार्गदर्शन कर रहा है। पुस्तकें मेरी भी प्रेरणास्रोत रही हैं। शाम को रेवान्त संस्था की ओर से डा.अनिल मिश्र की अध्यक्षता, मनोज शुक्ल के संचालन व डा.अनीता श्रीवास्तव कें संयोजन में आयोजित कवि सम्मेलन में संध्या सिंह, विजय पुष्पम, निर्मला सिंह, सरला, सोनी मिश्र, रोली श्रीवास्तव, सत्या सिंह, वसीम, साजिदा सबा, वर्षा श्रीवास्तव, सीमा मधुरिमा, सुलाख राहित मीत, ज्योति सिंह, अमिता दुबे, चन्द्रशेखर व मुख्यअतिथि डा.मालविका हरिओम ने रचनाएं पढ़ीं।
इससे पहले सुबह मेले के सांस्कृतिक मंच पर आज कालजयी गीतों के कवि गोपालदास नीरज की फिल्मों में इस्तेमाल हुई अनेक रचनाओं को अमित सक्सेना के संयोजन में हुए गायन व नृत्य कार्यक्रम में बाल व युवा कलाकारों ने दर्शनीय ढंग से प्रस्तुत किया। वरनया मेहरोत्रा की गणेश वंदना से प्रारम्भ कार्यक्रम में स्वरा-शाइनी गुप्ता ने सुबह न आई शाम न आई, स्तुति जैन एवं समृद्धि सक्सेना ने जीवन की बगिया, अदिति जैसवाल ने रंगीला रे तेरे रंग में, वागीशा पंत- शोखियों में घोला जाए, यथार्थ पांडेय ने आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ, सौम्या सिंह ने आज मदहोश हुआ जाए रे, नंदिनी खरे ने फूलों के रंग से, समृद्धि सक्सेना ने काल का पहिया, ऐश्वर्या जैसवाल ने देख तमाशा देख, रूबल जैन ने लिखे जो खत तुझे व दिया राय चैधरी ने जैसे राधा ने माला जपी…. जैसे गीतों पर नृत्य किया। इसके साथ ही दिनेश कुमार श्रीवास्तव, राखी अग्रवाल व प्रभव सक्सेना ने चूड़ी नहीं यह मेरा दिल है, मेघा छाए, खिलते हैं गुल यहां, ओ हमसफर दिल के नगर व कारवां गुजर गया जैसे प्रसिद्ध गीतों को सुरों में ढालकर श्रोताओं की प्रशंसा बटोरी।