कश्मीर की शांति में अड़ंगा लगा रहे हैं फारूक: राम माधव
नई दिल्ली: नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की लोकसभा-विधानसभा चुनावों के बहिष्कार की धमकी को बीजेपी नेता राम माधव ने आड़े हाथों लिया है. राम माधव ने आरोप लगाया कि फारूक ने हमेशा से ही जम्मू कश्मीर की जनता को गुमराह किया है और इस बार भी वो संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के हालातों को लेकर काफी गंभीर हैं लेकिन फारुख उनके प्रयासों में अड़ंगा लगाने की कोशिश कर रहे हैं.
राम माधव ने सवाल उठाते हुए कहा है कि अगर 35A के मुद्दे पर फारूक अब्दुल्ला पंचायत चुनावों का बहिष्कार करना चाहते हैं तो उन्हें इस बात का भी जवाब देना पड़ेगा कि उन्होंने करगिल चुनावों में हिस्सा क्यों लिया था. बता दें कि बीजेपी महासचिव राम माधव के कश्मीर घाटी के दौरे के बाद जम्मू-कश्मीर में फिर से सरकार बनाने की अटकलें तेज हो गई हैं.
माधव बीते दिनों घाटी के दौरे पर गए थे और इस दौरान उन्होंने बीजेपी से जुड़े कुछ पूर्व मंत्रियों के साथ बंद कमरे में गुफ्तगू की. ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने सरकार बनाने के लिए मंत्रियों की राय मांगी है. माधव ने वहां पीडीपी के कई बागी नेताओं से भी मुलाक़ात की है. माधव ने कश्मीर दौरे के बाद ये बड़ा बयान देकर सबको चौंका दिया था कि जम्मू कश्मीर में महबूबा के बिना भी सरकार बनाई जा सकती है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार धारा 35ए पर अपना रुख साफ नहीं करती है तो उनकी पार्टी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव का भी बहिष्कार भी कर देगी. इससे पहले बुधवार को अब्दुल्ला ने कहा था कि पार्टी राज्य में स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों का बहिष्कार करेगी. अब्दुल्ला ने पार्टी की बैठक के बाद कहा कि कोर ग्रुप ने सर्वसम्मति से यह फैसला किया है कि अगर भारत सरकार और राज्य सरकार इस बाबत अपनी स्थिति साफ नहीं करते हैं और अदालत के भीतर तथा बाहर अनुच्छेद 35-ए की रक्षा के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाते हैं तो नेशनल कान्फ्रेंस इन चुनावों में भाग नहीं लेगी.
प्रधान ने वैश्विक आवागमन सम्मेलन 'मूव' के दौरान अलग से बातचीत में कहा कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती, उत्पादक देशों द्वारा उत्पादन बढ़ाने का वायदा पूरा न करने तथा ईरान, वेनेजुएला और तुर्की में उत्पादन के बाधित होने के कारण कच्चे तेल की कीमतें ऊंची हुई हैं. उन्होंने कहा, 'एक मजबूत और सबसे तेजी से वृद्धि करती प्रमुख अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत को बिना सोचे समझे कोई कदम नहीं उठाना चाहिए. हमें थोड़ा इंतजार करना चाहिए.'