पूर्णता की राह दिखाता अध्यात्मिक साहित्य
वैदिक-पौराणिक ग्रंथों से निकली आम भाषा में हैं यहां ढेरों किताबें
लखनऊ, 9 सितम्बर। आपाधापी भरे जीवन में विचलित मन का साथ किताबें सच्चे दोस्त की तरह निभा सकती हैं। धर्म-अध्यात्म और वैदिक काल से जुड़े साहित्य से हर किसी को ताल मेल सिखाने को उत्सुक ऐसी बहुत सी दर्शन को सहज भाषा में सामने रखने वाली किताबें यहां रवीन्द्रालय लाॅन चारबाग में अपने पाठकों की प्रतीक्षा कर रही हैं। यहां सुबह 11 से रात नौ बजे तक 14 सितम्बर तक जारी निःशुल्क प्रवेश वाले इस राष्ट्रीय पुस्तक मेले में सभी ग्राहकों को पुस्तकों पर न्यूनतम 10 प्रतिशत की छूट मिल रही है।
ओशो बुक्स के स्टाल पर ओशो साहित्य की हिन्दी अंग्रेजी किताबों के साथ ही सीडी-डीवीडी तो हैं ही, येस ओशो मैगजीन के पुराने अंक भी 50 प्रतिशत छूट पर उपलब्ध हैं। संत निरंकारी मिशन के स्टाल पर गुरु हरदेव की किताबें तो हैं ही, अध्यात्म पर भक्ति रहस्य, जीवन दर्शन, दिव्यगाथा, पूर्णता की दिशा में, ब्रह्म ज्योति जैसी सौ से अधिक किताबें 10-15 रुपये से लेकर अधिक मूल्य की हैं। दि गिडियन्स के स्टाल पर यीशु सम्बंधित साहित्य की जानकारी के साथ हिन्दी या अंग्रेज़ी में बाइबिल मुफ्त दी जा रही है। राजपाल के स्टाल पर देवीदत्त पटनायक की भारतीय पौराणिक कथाएं जैसी पौराणिक विषयों व चरित्रों पर सात किताबें हैं। इसके साथ ही पूर्व राष्ट्रपति राधाकृष्णन की लिखी दर्शन की किताबें, डा.मनोदत्त पाठक की वैदिक ज्ञान विज्ञान कोष, राजेश बेंजवाल की तत्वबोध व कवि बच्चन की काव्यमय भावानुवाद वाली भगवद्गीता भी यहां उपलब्ध है। प्रभात के स्टाल पर आदि शंकराचार्य एवं अद्वैत, भारतीय कला दर्शन, हिन्दुत्व एक जीवन शैली जैसी अनेक पुस्तकें हैं। नैयर बुक स्टाल पर श्रीश्री रविशंकर की अध्यात्मिक विषयों की किताबें उपलब्ध हैं। इसी तरह अन्य स्टालों पर धर्म और अध्यात्म विषयों से जुड़ी बहुत सी किताबें हैं जो पूर्णता का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं।
रूपा पाण्डेय सतरूपा के संयोजन में हुई नवांकुर काव्य प्रतियोगिता में दो दर्जन से अधिक नवयुवा कवियों ने अपनी प्रतिभा मंच पर दर्शाई।
अमृतायन की ओर से यहां डा.अशोक अज्ञानी की अवधी बाल कहानियों की पुस्तक घुमन्तू का लोकार्पण अतिथियों आत्मप्रकाश मिश्र व डा.आर दीक्षित ने किया। इसी क्रम में हुई काव्य गोष्ठी में डा.सतीश सिंह सहित अनेक रचनाकारों ने सस्वर काव्यपाठ किया। आज शाम मंच कहानी और नाटक के नाम रहा। यहां डा.अमिता दुबे के संयोजन में उनके साथ ही संजय जयसवाल संजय, डा.डीएस शुक्ला, रजनी गुप्त, अलका प्रमोद व रामनगीना मौर्य जैसे कथाकारों द्वारा स्वरचित कहानियों क्रमशः संवेदना, धन्धा अपना-अपना, लावारिस, नियुक्ति-पत्र, ब्रेव गर्ल व बेवकूफ लड़का का पाठ श्रोताओं को अलग-अलग भावों से भर गया। वहीं देर शाम मदर सेवा संस्थान के बाल व युवा कलाकारों ने भारतेंदु हरिश्चन्द्र की जयंती पर उन्हें याद करते हुए अपनी नाट्य प्रस्तुति मंच पर दिखाई।