राजनीति नहीं राजनेता ख़राब हो सकते हैं: फारूक अब्दुल्ला
नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर में आगामी नगरपालिका व पंचायत चुनाव का बहिष्कार का ऐलान करने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बड़ा बयान दिया है. एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि आजादी के बाद से जितने भी चुनाव हुए हैं, उसने भारत को एकजुट करने की बजाय विभाजित करने का काम किया है.
फारूक ने कहा, 'हम मंदिरों और मस्जिदों के लिए लड़ते हैं, हम लोगों के लिए नहीं लड़ते हैं. हम झूठ बोलते हैं, हमें डर है कि अगर हम ईमानदार हैं, तो हम जीत नहीं पाएंगे, लेकिन यह धारणा वाकई गलत है. किसी भी राजनेता को चुनावी अखाड़े में उतरते हुए जनता को यह बताना होगा कि आप एक निश्चित बिंदु से परे चीजें नहीं कर सकते हैं.
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'राजनीति खराब नहीं है, राजनेता खराब हो सकते हैं. हम में से कई सेवा के लिए राजनीति में शामिल हो जाते हैं और हम में से कई पैसे कमाने के लिए राजनीति में शामिल हो जाते हैं. भगवान मंदिरों, मस्जिदों या गुरुद्वारों में नहीं रहते हैं, वह लोगों में रहता है और यदि आप लोगों की सेवा करते हैं तो आप भगवान की सेवा कर रहे हैं.
उधर अब्दुल्ला ने कश्मीर पर केंद्र सरकार द्वारा कई गलतियां करने का आरोप लगाते हुए कहा कि लोगों का दिल जीतने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. अब्दुल्ला ने कहा कि जब भी अनुच्छेद 35ए को हटाने जैसे मुद्दे उठते हैं, तब-तब राज्य के लोगों को ठेस पहुंचती है. अब्दुल्ला ने कहा था कि ऐसा नहीं है कि दिल्ली ने कोई गलती नहीं की. उसने कई गलतियां की हैं. अनुच्छेद 35-ए को हटाने की क्या जरूरत है? इस तरह की चीजों से लोग दुखी होते हैं. अगर आप दिलों से जुड़ना चाहते हैं, तो आपको लोगों का दिल जीतने के लिए कदम उठाने होंगे. इसके बिना आप नहीं जीत सकते.
उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले ही फारूक अब्दुल्ला ने ऐलान किया था कि उनकी पार्टी आगामी चुनावों में हिस्सा नहीं लेगी. उन्होंने कहा कि जब तक केंद्र निवासियों (जम्मू-कश्मीर) को विशेषाधिकार प्रदान करने वाले अनुच्छेद 35 ए पर अपना रुख स्पष्ट नहीं करेगी और इसकी रक्षा के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाएगी, तब तक उनकी पार्टी चुनावों का हिस्सा नहीं बनेगी.
उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने 31 अगस्त को अनुच्छेद 35 ए को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी क्योंकि केंद्र ने सरकार से मामले पर जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनाव होने के बाद विचार करने की मांग की थी. अदालत ने यह स्थगन केंद्र सरकार द्वारा राज्य में पंचायत चुनावों के बाद मामले पर सुनवाई के आग्रह पर दिया था. राज्य में आठ चरणों में होने वाले पंचायत चुनाव दिसंबर में खत्म होंगे. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एम.खानविलकर व न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ ने मामले पर सुनवाई को जनवरी के दूसरे हफ्ते तक के लिए स्थगित कर दिया था.
अनुच्छेद 35ए को संविधान में 1954 में राष्ट्रपति के आदेश के जरिए शामिल किया गया. इसके तहत बाहरी व्यक्तियों को राज्य में बसने या अचल संपत्ति खरीदने पर रोक है.