व्यापम के बाद शिवराज सरकार में सामने आया 3,000 करोड़ रूपये का ‘ई-टेंडर घोटाला’
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सिंह चौहान सरकार पर घोटाले के बादल मंडराने लगे हैं। व्यापम घोटाले के बाद अब प्रदेश में सैकड़ों करोड़ रुपये का ‘ई-टेंडर घोटाला’ सामने आया है। मध्य प्रदेश सरकार के ऑनलाइन खरीद प्लेटफॉर्म पर व्यापक पैमाने पर अनियमितता की बात सामने आई है। इसके जरिए कुछ चुनिंदा कंपनियों को ही सरकारी ठेका मिलने की बात सामने आई है। ‘इकोनोमिक टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, यह अनियमितता वर्षों पहले से चली आ रही थी, जिसका खुलासा मई महीने में हुआ था। मध्य प्रदेश जल निगम ने मार्च में तीन कांट्रैक्ट के लिए निविदा आमंत्रित किया था। इसके लिए आवेदन देने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद जल निगम को एनक्रिप्टेड ई-डॉक्यूमेंट मिले थे। निगम ने पाया था कि कुछ लोग निजी कंपनियों और शीर्ष अधिकारियों के साथ साठगांठ कर एनक्रिप्टेड डॉक्यूमेंट में बदलाव किए हैं। मामला संज्ञान में आने के बाद निगम के संबंधित अधिकारियों ने विभाग को इस बाबत सतर्क किया था। रिपोर्ट की मानें तो एक बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने भी बोली प्रक्रिया में घालमेल की शिकायत की थी। कंस्ट्रक्शन के अलावा इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी क्षेत्र में सक्रिय यह कंपनी बेहद कम मार्जिन से कांट्रैक्ट हासिल करने में विफल रही थी। रिपोर्ट के अनुसार, इसके जरिये तकरीबन 3,000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है।
जल निगम ने नोडल डिपार्टमेंट से मांगी थी मदद: सुरक्षित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म में सेंधमारी की बात सामने आने के बाद जल निगम ने नोडल डिपार्टमेंट स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (MPSEDC) से मदद मांगी थी। MPSEDC ही ई-टेंडर से जुड़ी वेबसाइट को ऑपरेट करता है। जल निगम ने विभाग से पूछा था कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के सुरक्षित होने के बावजूद इसके साथ छेड़छाड़ कैसे की गई? इसके बाद MPSEDC के प्रबंध निदेशक (MD) मनीष रस्तोगी ने आंतरिक जांच करवाई थी। इसमें राजगढ़ और सतना जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति से जुड़ी टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता की बात सामने आई थी। ई-डॉक्यूमेंट में हेरफेर के कारण जल निगम का दो ठेका हैदराबाद और एक मुंबई की कंपनी के हाथ लगी थी। आंतरिक जांच में विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलिभगत की बात भी सामने आई थी। रिपोर्ट के अनुसार, जल निगम के तीनों ठेके 2,322 करोड़ रुपये से ज्यादा के थे।
6 और कांट्रैक्ट में घालमेल: जल निगम के तीन कांट्रैक्ट के अलावा छह और कांट्रैक्ट में ई-डॉक्यूमेंट के साथ हेरफेर की बात सामने आई। सेंधमारों ने लोक निर्माण, जल संसाधन, सड़क विकास निगम, और परियोजना क्रियान्वयन विभाग की ओर से जारी ठेकों में भी इसी तरह से सेंध लगाई है। MPSEDC ने इस मामले में TCS और एंटेरिज सिस्टम को 6 जून को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इन दोनों कंपनियों पर ई-टेंडर से जुड़ी वेबसाइट के रखरखाव और स्टॉफ के प्रशिक्षण की जिम्मेदारी है। दोनों कंपनियों ने अपने जवाब में साइबर फ्रॉड की बात से इनकार नहीं की, लेकिन इसकी जिम्मेदारी भी नहीं ली।