नई दिल्ली: स्वच्छ गंगा मुहिम को सफल बनाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार नया कानून लाने की तैयारी में है। यह कानून अमल में आया तो गंगा को प्रदूषित करने वालों को जेल जाना पड़ेगा और जुर्माना भी लगाया जाएगा। इंडियन एक्सप्रेस के हाथ ड्राफ्ट बिल की वह जानकारी लगी है जो यह तस्दीक करती है कि सशस्त्र गंगा कोर (जीपीसी) के जवानों के पास गंगा को प्रदूषित करने वालों को गिरफ्तार करने की शक्तियां होंगी। वे कई तरह की गतिविधियों में एक्शन ले सकेंगे। वाणिज्यिक लाभ के लिए मछली पकड़ने के कारण नदी के प्रवाह को बाधा पहुंचाने वाले नपेंगे। ड्राफ्ट के मुताबिक अपराधियों को तीन साल तक की सजा और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना भरना होगा। ड्राफ्ट बिल को तैयार करने के लिए जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय ने विभिन्न हितधारकों से राय मांगी थी। ड्राफ्ट बिल के मुताबिक मौजूदा पर्यावरण कानून नदी के जीर्णोद्धार और संरक्षण के लिए पर्याप्त नहीं है। इस ड्राफ्ट बिल के जरिये राष्ट्रीय गंगा परिषद और राष्ट्रीय गंगा कायाकल्प प्राधिकरण से कहा गया है कि ढाई हजार किलोमीटर में बहने वाली नदी को बचाने के लिए कानून लागू किया जाए।

ड्राफ्ट बिल में जिन संज्ञेय अपराधों का जिक्र हैं, उनमें नदी में बाधा उत्पन्न करने वाली निर्माण गतिविधियां, नदी और इसकी सहायक नदियों के पास से औद्योगिक या वाणिज्यिक खपत के लिए भूजल निकालना, नदी और इसकी सहायक नदियों से वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए मछली पकड़ना और जलीय कृषि करना, सीवर का गंदा पानी नदी में जाने देना शामिल है। सूत्रों के मुताबिक संबंधित विभागों के सचिवों को एक कैबिनेट नोट भेजा गया है, जिस पर उनकी उनकी टिप्पणियां आ रही हैं।

ड्राफ्ट बिल में जीपीसी को केंद्र सरकार के द्वारा गठित और पोषित सशस्त्र बल दर्शाया गया है। इसके अनुसार जीपीसी के किसी भी सदस्य को लगता है कि किसी व्यक्ति ने इस अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध किया है तो वह उसे हिरासत में लेकर पास के पुलिस थाने में ले जा सकती है। ड्राफ्ट बिल के मुताबिक जीपीसी आपराधिक प्रक्रिया संहिता का पालन करेगी। जीपीसी के जवान गृह मंत्रालय के द्वारा उपलब्ध कराए जाएंगे और राष्ट्रीय गंगा कायाकल्प प्राधिकरण उन्हें तैनात करेगा। हालांकि, केवल जीपीसी से इतर ठीक इसी तरह के प्रावधान पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 में मौजूद हैं।