नई दिल्ली: देश में छोटे व्यापारियों की हालत कुछ ठीक नहीं और उनका लोन डिफाल्ट मार्जिन मार्च 2017 में 8249 करोड़ से बढ़कर मार्च 2018 तक 161218 करोड़ हो गया. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस द्वारा दाखिल की गई आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने बताया कि इस बढ़े हुए लोन डिफाल्ट में सरकारी बैंक का सबसे बड़ा हिस्सा है. इन बैंको का लोन डिफाल्ट में शेयर 65.32 फीसदी है.

दो हफ्ते पहले जारी की गई एक दूसरी स्टडी में आरबीआई ने स्वीकार किया था कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को नोटबंदी और जीएसटी की वजह से नुकसान पहुंचा है. उदाहरण के लिए रत्न और आभूषण से जुड़े उद्योग में नोटबंदी के बाद कैश की कमी की वजह से कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कई मजदूरों को वेतन नहीं मिला.

आरबीआई की मुद्रा नीति विभाग के हरेंद्र बेहेरा और गरिमा वाही ने बताया कि इसी तरह से जीएसटी आने के बाद भी छोटे उद्योग टैक्स के दायरे में आ गए, जिस कारण उनकी लागत बढ़ गई. इससे उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

SMERA रेटिंग्स लिमिटेड द्वारा हाल ही में करवाए गए एक सर्वे के अनुसार, 60 फीसदी से अधिक लोगों ने बताया कि उनका सिस्टम इस बदलाव के लिए तैयार नहीं था. सिडबी की तरफ से कराई गई एक स्टडी के अनुसार, नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के बाद शुरू में क्रेडिट एक्सपोज़र (वह राशि जो किसी लोन डिफाल्टर द्वारा चुकता न किए जाने पर बैंक को अधिकतम नुकसान हो सकता है) मार्च 2018 तक घटा है.

आरबीआई द्वारा करवाई गई स्टडी में पता लगा कि छोटे ज़िलों में ग्रोथ रेट घटी है, जबकि पहले वहां ग्रोथ रेट काफी अच्छी थी. इस रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2016 से फरवरी 2017 के बीच क्रेडिट ग्रोथ काफी गिर गई थी. इसलिए ऐसा माना गया कि क्रेडिट ग्रोथ में ये गिरावट नोटबंदी की वजह से आई है खासकर औद्योगिक क्षेत्र में. हालांकि छोटे कारोबारियों ने बाद में इसे रिकवर कर लिया और क्रेडिट ग्रोथ बढ़कर 8.5 फीसदी हो गई.