राम मंदिर पर CM योगी के बयान से अयोध्या के संत नाराज
लखनऊ : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए बयान पर विवाद शुरू हो गया है. अयोध्या के संतों ने उनके बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा कि रामलला सत्ता देते भी हैं और सत्ता छीनते भी हैं. 2019 में सत्ता बीजेपी को मिलने वाली नहीं है.
दरअसल शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम में राम मंदिर निर्माण से संबंधित सवाल के जवाब में कहा था कि जो कार्य होना है वह होकर ही रहेगा. उसे कोई टाल नहीं सकता. नियति ने जो तय किया है, वह होकर ही रहेगा.
रविवार को अयोध्या के संतों ने मुख्यमंत्री के इसी बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. श्री रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास ने इस पर कहा कि दो सांसदों से लेकर सत्ता तक बीजेपी को भगवान राम ने भेजा. यही नेता सत्ता में रहने के बाद अयोध्या आकर भाषा बदल लेते हैं. उन्होंने कहा कि गिरगिट के समान भाषा और स्वरूप बदलना भगवान राम के साथ धोखा है.
आचार्य सतेंद्र दास ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए सवाल पूछा कि आपके घोषणा पत्र में राम मंदिर था, उसका क्या होगा. रामलला सत्ता भी देते हैं और सत्ता छीन भी लेते हैं. 2019 की सत्ता बीजेपी को मिलने वाली नहीं है.
अयोध्या तपस्वी छावनी के महंत स्वामी परमहंस ने कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ का बयान अनुचित है. भगवान राम की कृपा से बीजेपी सत्ता में आई. यह नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ का कर्तव्य है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करें. केंद्र और राज्य सरकार को गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो एक अक्टूबर से आमरण अनशन करेंगे.
वहीं दूसरी ओर अयोध्या बाबरी मस्जिद पक्षकार इकबाल अंसारी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि लोग अनहोनी वाले काम को अल्लाह और भगवान पर छोड़ते हैं. अयोध्या का मामला अदालत में है. फैसला अदालत को करना है. अल्लाह और भगवान चाहेंगे तब फैसला हो जाएगा. चाहे मंदिर बने या मस्जिद, सीएम योगी आदित्यनाथ ने जो कहा ठीक कहा. वह संत हैं, उन्हें भगवान पर विश्वास है.
श्रीराम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य महंत कमलनयन दास ने भी सीएम योगी के बयान का समर्थन किया है. महंत कमलनयन दास का कहना है कि सीएम योगी आदित्यनाथ के मन में राम जन्मभूमि को लेकर पीड़ा बहुत है. वह चाहते हैं कि राम मंदिर बने. संत समाज आश्वस्त है कि अक्टूबर तक सुप्रीम कोर्ट फैसला देगा. अक्टूबर तक फैसला नहीं आया तो संत महात्मा हिन्दू समाज सब तरह से राम मंदिर के लिए तैयार है.
अक्टूबर के बाद राम मंदिर को लेकर कुछ भी घोषणा हो सकती है. राम मंदिर का चुनाव से मतलब नहीं है. 2019 चुनाव से पहले ही राम मंदिर निर्माण की घोषणा हो सकती है. महंत कमलनयन दास श्री राम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के उतरिधिकारी भी है.