नई दिल्ली : कानूनों के दुरूपयोग के जरिये महिलाओं द्वारा पुरूषों की प्रताड़ना से जुड़ी शिकायतों पर सुनवाई के लिए भाजपा के दो सांसदों ने एक आयोग के गठन की मांग की है. राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने शनिवार को कहा कि हर किसी को अपनी मांग रखने का अधिकार है लेकिन ‘मुझे नहीं लगता कि पुरूष आयोग की कोई जरूरत है’. उत्तर प्रदेश के घोसी और हरदोई से भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सदस्यों हरिनारायण राजभर और अंशुल वर्मा ने कहा कि वह ‘पुरूष आयोग’ के लिए समर्थन जुटाने के लक्ष्य के साथ 23 सितंबर को नयी दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे. दोनों सांसदों ने कहा कि उन्होंने संसद में भी इस मुद्दे को उठाया है. राजभर ने कहा, “पुरूष भी पत्नियों की प्रताड़ना के शिकार होते हैं. अदालतों में इस तरह के कई मामले लंबित हैं. महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए कानून और मंच उपलब्ध हैं लेकिन पुरूषों की समस्याओं पर अब तक ध्यान नहीं दिया गया है.

एनसीडब्ल्यू की तर्ज पर पुरूषों के लिए भी आयोग की जरूरत है.” उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं कह रहा हूं कि प्रत्येक महिला या प्रत्येक पुरूष गलत होता है, लेकिन दोनों ही लिंगों में ऐसे लोग हैं जो दूसरे पर अत्याचार करते हैं. इसलिए पुरूषों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के लिए भी एक ‘मंच’ होना चाहिए. मैंने संसद में भी इस मुद्दे को उठाया है.” राजभर ने कहा कि पुरूषों के लिए राष्ट्रीय आयोग की मांग जायज है. वर्मा ने कहा कि उन्होंने शनिवार को संसद की एक स्थायी समिति के समक्ष इस मुद्दे को रखा है, जिसके वह भी एक सदस्य हैं. सांसद ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के दुरुपयोग को रोकने के लिए उसमें संशोधन की आवश्यकता है. यह धारा पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा दहेज के लिए महिलाओं को परेशान किये जाने सहित उनके साथ होने वाले किसी भी तरह के अत्याचार के रोकथाम से संबंधित है. उन्होंने दावा किया कि 498 ए पुरूषों को परेशान करने का एक हथियार बन गया है.