लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने उ0प्र0 के योग्य एवं शिक्षित किन्तु बेरोजगार नौजवानों का घोर अपमान किया है। उनका यह कहना कि राज्य में नौकरियां तो बहुत हैं परन्तु योग्य उम्मीदवार नहीं हैं, बहुत ही हास्यास्पद और निन्दनीय है।

प्रदेश प्रवक्ता डा0 उमाशंकर पाण्डेय ने कहा शायद मुख्यमंत्री को यह जानकारी नहीं है कि यह प्रदेश देश को प्रतिवर्ष सर्वाधिक आई.ए.एस. देता है। देश के 15 प्रतिशत आईएएस उत्तर प्रदेश की धरती से आते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार 4443 आईएएस अधिकारियों में 671 उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। 1972 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के युवाओं ने पांच बार आईएएस की परीक्षा टाॅप किया है। लखनऊ का के0जी0एम0यू0 पूरे भारत में सबसे अच्छी मानी जाती है। यहां के निकले डाक्टर देश एवं विदेश की बड़ी चिकित्सा संस्थाओं में बड़े-बड़े पदों पर हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने अब तक सबसे अधिक आईएएस, आईपीएस एवं अन्य सिविल सर्विसेज में बढ़त बनायी हुई है। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, आईआईएम लखनऊ, आईआईटी कानपुर, मोतीलाल इंजीनियरिंग कालेज इलाहाबाद, मदन मोहन इंजीनियरिंग कालेज गोरखपुर, पीजीआई लखनऊ जैसी अनेकों संस्थाएं उ0प्र0 में हैं जो होनहार छात्रों को प्रतिवर्ष प्रदेश एवं देश की सेवा के लिए तैयार करती हैं और मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं कि यहां पर योग्य युवाओं की कमी है।

प्रदेश सरकार अपनी अकर्मण्यता को छुपाने के लिए इस तरह के अनाप-शनाप बयान दे रही है। आज ही समाचारपत्रों में 46हजार शिक्षकों की भर्ती करने के बजाय 9 हजार को निकालकर यह दर्शाने का प्रयास किया है कि प्रदेश में लेाकतंत्र नहीं नादिरशाही है। जब परीक्षा हो जाती है उसके बाद चयन प्रक्रिया में किसी प्रकार का बदलाव न्यायोचित नहीं है परन्तु इस सरकार ने ऐसा अन्याय किया है जिसकी वजह से लगभग 9 हजार अभ्यर्थी सरकारी नौकरी पाने से वंचित हो गये।

प्रदेश में लगभग 5 करोड़ युवा बेरोजगार हैं और प्रदेश के मुख्यमंत्री को उन 5 करोड़ युवाओं में योग्य उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं इसका सीधा तात्पर्य है कि डेढ़ वर्ष के शासनकाल में यह सरकार ऐसा कोई भी कार्य नहीं कर पायी कि 5 करोड़ युवाओं में से सरकारी नौकरियांे में उनकी भर्ती कर सके। मुख्यमंत्री जी ने सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की मांग मानने की बात तो दूर उल्टे उन्हें चेतावनी दी कि जो कर्मचारी ठीक से कार्य नहीं करेगा उसे 50 वर्ष की आयु में ही सेवानिवृत्त कर दिया जायेगा। जिस प्रदेश में बेरोजगारी ज्वलन्त समस्या हो उसकेा हल करने के बजाय अगर प्रदेश के मुख्यमंत्री उसे और बढ़ाने की बात करेंगे तो प्रदेश में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

जबसे प्रदेश में आदित्यनाथ सरकार बनी है उ0प्र0 लोकसेवा आयोग, पीसीएस की एक भी परीक्षा सफलतापूर्वक नहीं करा सकी। इतना ही नहीं केन्द्र सरकार की भर्तियां भी अधर मंे लटक रही हैं। उनके द्वारा की जाने वाली भर्ती पर सुप्रीम कोर्ट ने एस.एस.सी. 2017 के नतीजे घोषित करने पर रोक लगा दी है। अगर केन्द्र और प्रदेश की सरकार गंभीरतार्वूक इन भर्तियों पर विचार नहीं करेगी तो प्रदेश और देश में बहुत भयानक स्थिति उत्पन्न हो जायेगी।