राजभवन में राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर खिलाड़ियों का हुआ सम्मान
लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज राजभवन के गांधी सभागार में आयोजित ‘खिलाड़ी सम्मान समारोह’ में अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालयीय खेल प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक देकर सम्मानित किया। राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर ‘खिलाड़ी सम्मान समारोह’ का आयोजन वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी एवं डाॅ0 राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद द्वारा किया गया था। राज्यपाल ने समारोह में हाॅकी, क्रिकेट, एथलेटिक्स, तीरंदाजी, भारोत्तोलन, वुशू, कबड्डी, बाॅक्सिंग, एवं खो-खो आदि खेलों में पुरूष एवं महिला वर्ग में प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों एवं टीम प्रबंधकों को सम्मानित किया।

राज्यपाल ने कहा कि हाॅकी के जादूगर मेजर ध्यानचन्द के जन्मदिवस के अवसर पर राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। मेजर ध्यानचन्द ने देश को ओलिम्पक्स में लगातार तीन बार हाॅकी में स्वर्ण पदक दिलाया था। अंग्रेजों के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए उन्होंने अपने देश के लिये ही खेलने को ध्येय बनाया। खेल हेतु कड़ी मेहनत करनी होती है। खेल में प्रगति करने के लिए मन की ताकत और टीम-भावना का बड़ा महत्व है। खुद की प्रगति के साथ माता-पिता, गुरूजन, विश्वविद्यालय, प्रदेश एवं देश का नाम रोशन करने का संकल्प लें। उन्होंने कहा कि शिक्षक इस बात पर विचार करें कि युवाओं को शिक्षा के साथ-साथ खेल के क्षेत्र में कैसे आगे लाया जाए।

श्री नाईक ने कहा कि राजभवन में अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित होते हैं जैसे कवि सम्मेलन, संगीत के कार्यक्रम, कुष्ठ पीड़ितों द्वारा प्रस्तुत भजन संध्या। परन्तु खेल सम्मान समारोह से राजभवन की जहाँ गरिमा बढ़ी है वही पदक प्राप्त खिलाड़ियों को भी प्रोत्साहन मिला है। पुरस्कार प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं का अभिनंदन करते हुए राज्यपाल ने कहा कि परिश्रम करते हैं तो पुरस्कार भी प्राप्त होता है। भविष्य में खिलाड़ी और अधिक मेहनत कर पदकों की संख्या बढ़ायेंगे। पुरस्कार के लिए प्रेरित करने वाले शिक्षकों एवं प्रशिक्षकों की भी अहम भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम से विश्वविद्यालयों को नई दिशा मिल सकती है।

राज्यपाल ने कहा कि 2025 तक भारत विश्व का सबसे युवा देश होगा। उत्तर प्रदेश आबादी की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। विश्व के केवल 3 देश अमेरिका, चीन एवं इण्डोनेशिया की आबादी उत्तर प्रदेश से अधिक है। ज्यादा मानव संसाधन का अपना महत्व है। राज्यपाल ने कहा कि आजादी के बाद 1950-51 में हम गेहूं आयात करते थे। वर्तमान में हमारी आबादी तीन गुना बढ़ गयी है परन्तु किसानों की दृढ़ इच्छाशक्ति से हम आज गेहूं निर्यात करने की स्थिति में हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की पदक तालिका में भारत की स्थिति अपेक्षाकृत छोटे देशों से भी नीचे होती हंै। हमारे युवा खिलाड़ी अपनी दृढ इच्छाशक्ति से ओलम्पिक एवं एशियाड जैसी प्रतियोगिताओं में अधिक से अधिक पदक प्राप्त कर देश का नाम ऊंचा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं को उचित प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन की जरूरत है।

श्री नाईक ने खिलाड़ियों को श्लोक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का मर्म समझाते हुए बताया कि जो बैठ जाता है उसका भाग्य भी बैठ जाता है, जो सोया रहता है उसका भाग्य भी सो जाता है, जो चलता रहता है उसका भाग्य भी चलता है। सूरज इसलिए जगत वंदनीय है क्योंकि वह निरन्तर चलायमान है। उन्होंने कहा कि जीवन में निरन्तर आगे बढ़ने से सफलता प्राप्त होती है। राज्यपाल ने बताया कि उनके संस्मरणों पर आधारित मूल मराठी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ शीघ्र ही जर्मन, अरबी, फारसी एवं सिंधी भाषा में अनुवादित होकर प्रकाशित होने वाली है। इस पुस्तक का प्रकाशन हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, गुजराती एवं संस्कृत भाषा में पूर्व में हो चुका है।

कुलपति वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय प्रो0 राजाराम यादव ने ‘खिलाड़ी सम्मान समारोह’ पर प्रकाश डालते हुये स्वागत उद्बोधन दिया तथा कुलपति महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ प्रो0 टी0एन0 सिंह ने पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ियों का संक्षिप्त परिचय दिया। समारोह में डाॅ0 राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद के कुलपति प्रो0 मनोज दीक्षित ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया। विश्वविद्यालयों द्वारा अपनी प्रगति आख्या पर भी विस्तृत प्रकाश डाला गया। समारोह में राज्यपाल का सम्मान स्मृति चिन्ह एवं अंग वस्त्र देकर कुलपतियों द्वारा किया गया।