RBI ने महंगाई को लेकर सरकार को चेताया
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ने आशंका जताई है कि इस साल महंगाई में और इजाफा हो सकता है। केंद्रीय बैंक ने बुधवार को जारी 2017-18 की सालाना रिपोर्ट में कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और तेल बाजार में मांग व आपूर्ति में हो रहे बदलाव का सबसे अधिक प्रभाव देश के व्यापार घाटे पर होने वाला है।
आरबीआई ने सरकार को महंगाई के मोर्चे पर चेताते हुए कहा कि आने वाले दिनों में महंगाई ऊपर जाने की आशंका है और इसके लिए तैयारी और सावधानी दोनों की जरूरत है। उसने महंगाई पर काबू पाने के लिए तत्काल कदम उठाने की सलाह देते हुए कहा कि वर्तमान में देश का व्यापार घाटा पांच साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचकर 18 अरब डॉलर हो गया है। इसी तरह बीते जुलाई में थोक महंगाई सूचकांक की दर बढ़कर 5.09% पहुंच गई थी, जबकि सब्जियों-फलों की कीमतों में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई थी। साल 2017 की जुलाई में यह दर महज 1.88% पर थी। खुदरा महंगाई की दर भी 2017 के मध्य से लगातार बढ़ रही है और वर्तमान में यह 5% के आसपास बनी हुई है।
आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि निर्यात बढ़ने से अर्थव्यवस्था को राहत मिली है। जुलाई में देश का निर्यात 14.32% बढ़कर 25.77 अरब डॉलर हो गया है। इसी तरह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में भी इजाफा हुआ और भारत विदेशी निवेशकों के लिए पसंदीदा जगह बन गया है। देश में 2017-18 में 37.3 अरब डॉलर का एफडीआई आया, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में 36.3 अरब डॉलर का एफडीआई आया था।
रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बैंकों को अभी गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की समस्या से निजात नहीं मिलने वाली है। मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष में बैंकों का डूबा कर्ज और बढ़ेगा।
रिपोर्ट के अनुसार,बैंकिंग प्रणाली में मार्च, 2018 के अंत तक कुल एनपीए और पुनर्गठित कर्ज कुल ऋण के 12.1 प्रतिशत पर पहुंच गया है। एनपीए पर प्रावधान बढ़ने और बॉन्ड पर प्राप्ति बढ़ने की वजह से मार्क टु मार्केट (एमटीएम) ट्रेजरी नुकसान जैसे सामूहिक प्रभाव से बैंकों के मुनाफे पर असर हुआ है और शुद्ध रूप से उनको घाटा उठाना पड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का कुल सकल एनपीए 31 मार्च, 2018 तक बढ़कर 10,35,528 करोड़ रुपये हो गया, जो 31 मार्च, 2015 को 3,23,464 करोड़ रुपये था।