लखनऊ: उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है जिसका ताजा उदाहरण प्रदेश सरकार के स्वास्थ्यमंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह का गैर जिम्मेदाराना बयान कि प्रदेश में 7हजार से अधिक चिकित्सकों की कमी है, योगी सरकार में चिकित्सा के नाम पर आम जनता भगवान भरोसे है।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता ओंकारनाथ सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार में 18 हजार से अधिक चिकित्सकों के पद हैं जिसमें मात्र 11733 चिकित्सक ही नियुक्त हैं शेष 7 हजार चिकित्सकों की भर्ती सरकार को करनी है लेकिन सरकार चिकित्सकों की भर्ती करने में असफल है। जब पद रिक्त हैं तो उसको भरने में सरकार को क्या परेशानी हो सकती है। जबकि एक तरफ मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था बहुत अच्छी हो गयी है वहीं दूसरी तरफ उन्हीं की सरकार के जिम्मेदार विभागीय मंत्री ठीक इसके विपरीत बयान देते हैं कि अस्पतालों में चिकित्सकों की भारी कमी है। मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री में कौन सही बोल रहा है इसे सरकार को स्पष्ट करना चाहिए।

प्रवक्ता ने कहा कि सरकार स्पष्ट करे कि किन परिस्थितियों में चिकित्सकों की भर्ती नहीं की जा रही है। वर्तमान समय में एक हजार व्यक्तियों पर एक चिकित्सक नियुक्त है। ऐसे में वह कैसे मरीजों की देखभाल कर पायेंगे। प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में स्थित पीएचसी एवं सीएचसी पर चिकित्सकों के अभाव में आम जनता इलाज न पाने के चलते अपनी जान गंवा रही है, गर्भवती महिलाएं चिकित्सीय अभाव में सड़कों पर प्रसव करने के लिए मजबूर हैं। प्रदेश सरकार को चिकित्सा व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए पीएचसी, सीएचसी पर चिकित्सकों की तत्काल नियुक्ति सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि ग्रामीण एवं आम जनता को चिकित्सीय सुविधा मिल सके, इसके लिए सरकार को पीएचसी एवं सीएचसी पर चिकित्सकों के लिए आवासीय एवं अन्य सुविधाएं भी मुहैया करानी चाहिए ताकि वह वहीं रहकर मरीजों का इलाज कर सकें।

जबसे प्रदेश में योगी सरकार सत्ता में आयी है स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर इतना प्रचार किया जा रहा है कि प्रदेश में चिकित्सीय व्यवस्था बहुत ही सुदृढ़ हो गयी है लेकिन रोजाना अस्पतालों में बिजली आपूर्ति में बाधा के चलते अनकों गंभीर जांचें प्रभावित हो रही हैं, आपरेशन के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे हैं। प्रदेश सरकार अविलम्ब गंभीरतापूर्वक कार्यवाही करे ताकि आम जनता केा चिकित्सीय अभाव में असमय अपनी जान न गंवानी पड़े।