एंडरसन मेरा रिकॉर्ड तोड़ेंगे मगर उनका कोई नहीं तोड़ पायेगा: मैक्ग्राथ
लंदन: इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया के बल्लेबाजों को जिस गेंदबाज ने सबसे ज्यादा परेशान किया वह है जेम्स एंडरसन. लॉर्ड्स टेस्ट में जेम्स एंडरसन की स्विंग करती गेंदों के आगे कप्तान विराट कोहली सहित भारत के सभी बल्लेबाज हर तरह की परेशानी में नजर आए. 36 वर्षीय एंडरसन ने इस टेस्ट में 9 विकेट लेते हुए भारत को पारी के अंतर की हार के लिए मजबूर कर दिया था. टेस्ट क्रिकेट में एंडरसन अब तक 141 टेस्ट में 557 विकेट हासिल कर चुके हैं यदि वे सीरीज के शेष दो टेस्ट मैचों में सात विकेट और लेने के सफल हो गए तो ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन मैक्ग्राथ को पीछे छोड़कर टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज बन जाएंगे. अपनी सटीक गेंदबाजी के लिए दुनियाभर में मशहूर मैक्ग्राथ ने 124 टेस्ट में 21.64 के औसत से 563 विकेट हासिल किए थे.
एंडरसन के गेंदबाजी कौशल के प्रशंसकों में खुद मैक्ग्राथ शामिल हैं. उनका कहना है कि संभवत: कुछ समय बाद ही टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज का रिकॉर्ड एंडरसन के नाम पर होगा. मैक्ग्राथ यह कहने से भी नहीं चूके कि रिकॉर्ड टूटने के लिए ही बनते हैं और उन्हें काफी खुशी होगी जब एंडरसन उन्हें पीछे छोड़ेंगे. 'डेली मेल' में लिखे अपने कॉलम में ऑस्ट्रेलिया के इस पूर्व तेज गेंदबाज ने कहा कि एंडरसन का टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज बनने का रिकॉर्ड अटूट रहेगा. इसका कारण यह है कि मौजूदा समय के तेज गेंदबाजों में से कोई भी एंडरसन के विकेटों की संख्या के आसपास नहीं है.
मौजूदा तेज गेंदबाजों पर नजर डालें तो एंडरसन के 557 विकेट के बाद इंग्लैंड के ही स्टुअर्ट ब्रॉड का स्थान आता है जिनके 427 टेस्ट विकेट हैं. दक्षिण अफ्रीका के डेल स्टेन के 421 टेस्ट विकेट हैं. इन दोनों गेंदबाजों के बाद भारत के ईशांत शर्मा ही हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में अब तक 249 विकेट लिए हैं ये सभी गेंदबाज एंडरसन के 557 विकेट से काफी पीछे हैं.
ग्लेन मैक्ग्राथ ने कहा कि वर्ष 2006-2007 में इंग्लैंड के खिलाफ अपनी आखिरी टेस्ट सीरीज के दौरान मुझे एंडरसन की गेंदबाजी को बारीकी से देखने का मौका मिला था. मैंने देखा कि वह गेंदों को दोनों तरह स्विंग कराने में कुशल है. उसकी गेंदबाजी की कला बेहतरीन है.बहुत अधिक गेंदबाज ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं. मुझे लगता है कि पाकिस्तान के वसीम अकरम ही कुशलतापूर्वक ऐसा कर पाते थे. जब गेंद स्विंग कर रही होती है तो उनके गेंदों का सामना करना बेहद मुश्किल हो जाता है. हालांकि जब गेंद स्विंग नहीं कर रही होती तो इस परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन करने का कौशल भी उन्होंने सीख लिया है.