नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी घर्मस्थलों और चैरिटेबल संस्थानों में साफ-सफाई, संपत्तियों, प्रवेश और अकाउंट्स के मामलों की जांच करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जिला जज इन मामलों को लेकर आने वाली शिकायतों पर सुनवाई करें और हाईकोर्ट को उनकी रिपोर्ट भेजें। कोर्ट ने यह भी बताया कि ऐसे मामलों को जनहित याचिका के तौर पर निपटाए जाया। बता दें कि कोर्ट के इस आदेश के दायरे में देश के सभी मंदिर, मस्जिदें, गिरजाघर और बाकी धार्मिक स्थल व चैरिटेबल संस्थान आएंगे।

जस्टिस आदर्श के.गोयल (सेवानिवृत्त) और एस.अब्दुल नजीर की बेंच ने पिछले महीने इस संबंध में यह अहम आदेश जारी किया था। बेंच ने कहा था, “धार्मिक स्थलों में आने वालों की दिक्कतें, प्रबंधन में कमी, साफ-सफाई, संपत्ति की रखवाली और कुछ अन्य चीजें ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार ही नहीं बल्कि कोर्ट्स को भी विचार करना चाहिए।”

देश में धर्मस्थलों की संख्या के आधार पर कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। आंकड़ों के अनुसार, 20 लाख से ज्यादा मंदिर, तीन लाख मस्जिदें और हजारों गिरजाघर इस वक्त देश में हैं। लेकिन पहले से ही तीन करोड़ मामले लंबित पड़े हैं, जबकि हाईकोर्ट्स से लेकर जिला अदालतों में भारी संख्या में भर्तियां होनी हैं। ऐसे में यह आदेश न्यायपालिका पर थोड़ा बोझ डाल सकता है। एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम के अनुसार, अकेले तमिलनाडु में सात हजार से ज्यादा पुराने मंदिर हैं।

पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर की संपत्तियों-सुविधाओं को लेकर भी ऐसी ही जांच कराई गई थी। मृणालिनी पाढ़ी नाम की महिला ने तब इस मामले में जनहित याचिका दाखिल की थी, जिसके बाद बेंच ने सभी धर्मस्थलों और चैरिटेबल संस्थानों से जुड़ी इस प्रकार की जांच के लिए किसी श्रद्धालु या व्यक्ति को शिकायत की अनुमति देने पर सोचा था।

कोर्ट ने कहा था कि जगन्नाथ मंदिर में सभी धर्मों के लोगों के लिए एंट्री खोल देनी चाहिए। बता दें कि वहां पर गैर हिंदुओं की एंट्री पर अनुमति नहीं है। कोर्ट के अनुसार, हिंदू एक सनातन विश्वास है और सदियों से यह लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत रहा है।