नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी कि विवाह संबंधी विवादों और दहेज हत्याओं में जब तक पति के रिश्तेदारों की संलिप्तता की स्पष्ट घटनाएं नहीं हों तब तक उन्हें इन मामलों में नामजद नहीं किया जाना चाहिए।

जस्टिस एस.ए. बोबड़े और जस्टिस एल. नागेश्वर राव की बैंच ने अदालतों को इन मामलों में पति के दूर के रिश्तेदारों के खिलाफ कार्रवाई में सतर्क रहने के लिए चेताया।

सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए एक व्यक्ति के मामाओं द्वारा दायर याचिका का अनुरोध स्वीकार किया, जिन्होंने हैदराबाद हाईकोर्ट के जनवरी 2016 के फैसले को चुनौती दी थी। इस फैसले में हाईकोर्ट ने एक वैवाहिक विवाद मामले में उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही खत्म करने का उनका अनुरोध ठुकरा दिया था।

बैंच ने कहा कि अदालतों को वैवाहिक विवादों और दहेज हत्याओं से जुड़े अपराधों में दूर के रिश्तेदारों के खिलाफ कार्रवाई में सतर्क रहना चाहिए। जब तक पति के रिश्तेदारों की अपराध में संलिप्तता की स्पष्ट घटनाएं नहीं हों, पति के रिश्तेदारों को आरोपों के आधार पर नामजद नहीं किया जाना चाहिए।

बैंच ने कहा कि मामले में दायर आरोपपत्रों पर विचार करने के बाद अदालत का नजरिया है कि विवाहित महिला से क्रूरता, आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और अपहरण के आरोपों के लिए पति के मामाओं के खिलाफ मामला पहली नजर में नहीं बनता।

इस मामले में शिकायतकर्ता ने पुलिस में शिकायत देकर अपने पति और उसके मामाओं सहित परिजनों द्वारा उत्पीड़न का आरोप लगाया था और दावा किया था कि उसके पति ने उसके बेटे का अपहरण भी किया था।