लखनऊ। आॅल इण्डिया हुसैनी सुन्नी बोर्ड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सैयद जुनैद अशरफ किछौछवी ने कहा कि ईदुल अज़हा ईस्लाम का एक अहम रूकन है। जिसको हज़रते इब्राहीम ने अपने बेटे हज़रते ईस्माईल को कुर्बान करने की वजह से मनाया जाता है। यह अलग बात है कि अल्लाह ने उनके बेटे की जगह पर दुम्बा को कुर्बान करवाया। हज़रते इब्राहीम के इसी जज़बे को देखते हुए अल्लाह ने ईस्लाम का एक अहम रूकन करार दे दिया। इससे पता चलता है कि बारगाहे ईलाही में आपकी कुर्बानी तभी कुबुल होगी जब आपकी नियत दुरूस्त हो। अल्लाह के नज़दीक इस दिन कुर्बानी से बेहतर कोई अमल नहीं।

हिन्दुस्तान एक लोकतांत्रिक देश है यहां पर भिन्न-भिन्न ख्यालात के लोग रहते हैं। हमंे उनके ख्यालात का ख्याल रखते हुए अपना फर्ज़ निभाना है। हमें कुरबानी दिखावे के लिए, पड़ोसी को परेशान करने के लिए नहीं करनी है। कुर्बानी का वीडियों न ही बनाना है और न ही सोशल मीडिया पर वायरल करना है। रोड पर जानवर का गैर ज़रूरी अंग नहीं फेंकना है। जहां तक हो सके रोड पर कुर्बानी कतई न करें। गोश्त को गरीब रिश्तेदार, गरीब दोस्त और गरीबों में बांटना है। कुर्बानी हम होश में करें जोश बिल्कुल भी मत दिखाएं। ईदुल अज़हा मेल, मोहब्बत और कुर्बानी के जज़्बे का पैगाम देता है। और हमें इसी जज़बे का एहतराम करते हुए मनाना है। साथ ही जुनैद अशरफ किछौछवी ने लखनऊ के उलेमा खुसूसी तौर काज़ीए शहर मुफ्ती इरफान मियाॅ फिरंगी, ईमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फिरंगी, मौलाना कल्बे जव्वाद साहब और मौलाना सैफ अब्बास जिन्होेंने बड़े हिकमते अमली से चांद के मसअले को हल कर दिया और लखनऊ और आसपास के ज़िलों को एक बड़े फितने से बचा लिया।