कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में ‘महागठबंधन’ की पूरी उम्मीद
नई दिल्लीः कांग्रेस को पूरी उम्मीद है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में 'महागठबंधन' होगा. अगर ऐसा होता है तो वह बीजेपी को चुनौती देने में कामयाब होगी. फिलहाल बीजेपी के सबसे ज़्यादा सांसद उत्तर प्रदेश से ही हैं. हालांकि पार्टी को लगता है कि "सामरिक कारणों" के चलते इसके बारे में विस्तार से बात करना थोड़ी जल्दबाज़ी होगी.
समाजवादी पार्टी (एसपी), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) और कांग्रेस जैसे प्रमुख गैर-बीजेपी दलों को एक साथ लाकर अगले आम चुनावों से पहले महागठबंधन बनाने की कोशिश की जा रही है. उत्तर प्रदेश में साल की शुरुआत में यूपी में लगातार तीन लोकसभा उप-चुनावों में विपक्ष ने एकजुट हो कर बीजेपी को हराया था. इसके बाद से महागठबंधन को लेकर कोशिशें तेज़ हो गई हैं.
कांग्रेस के एक बड़े नेता ने कहा, "महागठबंधन साल 2004 में अस्तित्व में था. इस बार एकमात्र नई चीज ये है कि हम इसे उत्तर प्रदेश में विस्तारित करेंगे."
कांग्रेस को पूरी उम्मीद है कि तमिलनाडु में डीएमके के साथ उनका गठबंधन अगले आम चुनावों तक जारी रहेगा. डीएमके के प्रमुख एम करुणानिधि और एआईएडीएमके के प्रमुख जे जयललिता की मौत के बाद इन दो दक्षिण भारतीय पार्टियों में राजनीतिक हालात थोड़े बदल गए हैं. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों की नज़रें तमिलनाडु पर टिकी हैं.
लेकिन 2004 के विपरीत, कांग्रेस पार्टी विभाजित आंध्र प्रदेश को लेकर थोड़ा परेशान है. साल 2004 और 2009 में कांग्रेस की जीत में तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश का बड़ा हाथ रहा था. वाई राजशेखर रेड्डी के नेतृत्व में कांग्रेस को आंध्र प्रदेश में दोनों मौके पर 30 से ज़्यादा सीटों पर जीत मिली थी.
आंध्र प्रदेश के बंटवारे के बाद हालात बदल गए हैं. वाईएसआर के बेटे जगन मोहन रेड्डी ने अपनी पार्टी बना ली है. टीडीपी के खिलाफ उनकी पार्टी मुख्य विपक्षी दल के तौर पर सामने आ गई है. तेलंगाना में पार्टी एक नया राज्य बनाने के अपने वादे को बनाए रखने के बावजूद विधानसभा चुनाव हार गई.
कांग्रेस के एक नेता ने कहा "हम दक्षिण भारत में हर जगह हैं. केरल और तेलंगाना में हम मुख्य विपक्षी दल हैं. हम कर्नाटक में सत्ता में हैं. तमिलनाडु में हमारा गठबंधन है. लेकिन हां आंध्र प्रदेश में जरूर कुछ दिक्कतें हैं.''
हाल के दिनों में चंद्रबाबू नायडू ने संकेत दिए हैं कि वह कांग्रेस से दूर नहीं है. पार्टी ने लोकसभा में विश्वास मत और राज्यसभा के उप-सभापति के चुनाव में कांग्रेस के साथ दिया था.