महात्मा गाँधी के ‘‘स्वच्छ भारत’’ के सपने को पूरा करने के लिए संकल्पित हों!
– डा0 जगदीश गांधी, शिक्षाविद् एवं संस्थापक-प्रबन्धक सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ
(1) जहां स्वच्छता होती है, वही देवताओं का वास होता है :-
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने जिस भारत का सपना देखा था उसमें सिर्फ राजनैतिक आजादी ही नहीं थी, बल्कि एक स्वच्छ एवं विकसित देश की कल्पना भी थी। महात्मा गाँधीजी के लिए स्वच्छता एक बहुत ही महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा था। उनका मानना था कि जहां स्वच्छता होती है वहीं देवताओं का वास होता है। 1895 में जब ब्रिटिश सरकार ने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों और एशियाई व्यापारियों से उनके स्थानों को गंदा रखने के आधार पर भेदभाव किया था, तब से लेकर अपनी हत्या के दिन 30 जनवरी 1948 तक गाँधीजी लगातार सफाई रखने पर जोर देते रहे। इस वर्ष 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गाँधी की जयन्ती के अवसर पर देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सारे देश को स्वच्छ बनाने के लिए ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरूआत की है। यह अभियान महात्मा गाँधी जी की 150वीं जयन्ती (2 अक्टूबर, 2019) तक सारे देश में चलाया जायेगा। पांच वर्ष तक जन आंदोलन के रूप में चलाए जाने वाले इस अभियान की शुरूआत माननीय प्रधानमंत्री जी ने राजघाट जाकर बापू की समाधि पर स्वच्छता की शपथ लेने के साथ की है।
(2) ‘स्वच्छता’ को शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहते थे बापू :-
महात्मा गाँधी के अनुसार कोई भी काम छोटा नहीं होता। उनका मानना था कि बड़े परिवर्तन तभी आएंगे जब हम अपना अहम् भुलाकर छोटे से छोटे काम भी स्वयं करने की पहल करेंगे। गाँधी जी के अनुसार शुद्ध बनने का अर्थ है मन से, वचन से और काया से निर्विकार बनना, राग-द्वेष आदि से रहित होना। उनके अनुसार जहां भीतर और बाहरी, दोनों तरह की संपूर्ण शुद्धता होती है, वहां बीमारी असंभव हो जाती है। उनका कहना था कि जब तक मेरे देशवासी सफाई नहीं सीखेंगे, तब तक उनकी प्रगति नहीं होगी। गाँधीजी ने स्कूली और उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रमों में स्वच्छता को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। 20 मार्च 1916 को गुरुकुल कांगड़ी में दिए गए भाषण में उन्होंने कहा था ‘गुरुकुल के बच्चों के लिए स्वच्छता और सफाई के नियमों के ज्ञान के साथ ही उनका पालन करना भी प्रशिक्षण का एक अभिन्न हिस्सा होना चाहिए,..।’’
(3) धार्मिक स्थलों में विशेष स्वच्छता के पक्षधर थे बापू :-
गाँधीजी ने धार्मिक स्थलों में फैली गंदगी की ओर भी ध्यान दिलाया था। 3 नवंबर 1917 को गुजरात राजनैतिक सम्मेलन में उन्होंने कहा था, ‘पवित्र तीर्थ स्थान डाकोर यहां से बहुत दूर नहीं है। मैं वहां गया था। वहां की पवित्रता की कोई सीमा नहीं है। मैं स्वयं को भगवान का भक्त मानता हूं, इसलिए मैं डाकोर जी की स्थिति की विशेष रूप से आलोचना कर सकता हूं। उस स्थान पर गंदगी की ऐसी स्थिति है कि स्वच्छ वातावरण में रहने वाला कोई व्यक्ति वहां 24 घंटे तक भी नहीं ठहर सकता। तीर्थ यात्रियों ने वहां के टैंकरों और गलियों को प्रदूषित कर दिया है।’। इसी तरह यंग इंडिया में 3 फरवरी 1927 को उन्होंने बिहार के पवित्र शहर गया की गंदगी के बारे में भी लिखा और यह इंगित किया कि उनकी आत्मा गया शहर के गंदे नालों में फैली गंदगी और बदबू के खिलाफ बगावत करती है।
(4) सार्वजनिक स्थानों एवं सार्वजनिक परिवहन में स्वच्छता को लेकर गंभीर थे गाँधी जी :-
गाँधी जी सार्वजनिक स्थानों एवं सार्वजनिक परिवहन के साधनों यथा बस एवं रेलगाड़ियों में रहने वाली गंदगी को लेकर काफी चिंतित रहते थे। 25 सितंबर 1917 को लिखे अपने पत्र में उन्होंने लिखा, ‘इस तरह की संकट की स्थिति में तो यात्री परिवहन को बंद कर देना चाहिए ………क्योंकि वह हमारे स्वास्थ्य और नैतिकता को प्रभावित करती है। निश्चित तौर पर तीसरी श्रेणी के यात्री को जीवन की बुनियादी जरूरतें हासिल करने का अधिकार तो है ही। तीसरे दर्जे के यात्री की उपेक्षा कर हम लाखों लोगों को व्यवस्था, स्वच्छता, शालीन जीवन की शिक्षा देने, सादगी और स्वच्छता की आदतें विकसित करने का बेहतरीन मौका गवां रहे हैं।’
(5) स्वच्छ भारत, समृद्ध भारत :-
स्वच्छ भारत अभियान में पूरे देश के लोगों के बढ़-चढ़ कर हिस्से लेने से एक अभूतपूर्व उत्साह पैदा हुआ है। सिटी मोन्टेसरी स्कूल की 20 शाखाओं के लगभग 56,000 छात्र-छात्रायें तथा 3000 शिक्षक व कार्यकर्ता भी इसमें पीछे नहीं है। इस स्वच्छता अभियान के माध्यम से हमारा प्रयास है कि बाल व युवा पीढ़ी साफ-सफाई व स्वच्छता के प्रति प्रतिबद्ध हो। आज की भावी पीढ़ी यदि स्वच्छता जैसी बुनियादी बातों को अपनी आदत में शामिल कर ले, तो घर-परिवार व समाज ही नहीं अपितु देश व दुनिया की तस्वीर बदल जायेगी। सी0एम0एस0 का यह स्वच्छता अभियान बाल एवं युवा पीढ़ी के साथ ही जनमानस को साफ-सफाई के महत्व से अवगत कराने के लिए पूरे मनोयोग से प्रयासरत है। सीएमएस के छात्र विभिन्न क्षेत्रों में घूम-घूमकर जनमानस को स्वच्छता अभियान से जोड़ रहे हैं।
(6) ‘कचरा नहीं फैलायेंगे, भारत को स्वच्छ बनायेंगे :-
इस अवसर पर छात्रां ने संकल्प लिया कि वे सार्वजनिक स्थलों पर कतई गंदगी नहीं फैलायेंगे और अन्य लोगां को भी इसके लिए जागरूक करेंगे। ये छात्र ‘कचरा नहीं फैलायेंगे, भारत को स्वच्छ बनायेंगे, ‘स्वच्छ भारत, समृद्ध भारत’ आदि नारे लिखे पोस्टरों व बैनर्स के साथ पूरे क्षेत्र में घूम-घूमकर स्वच्छता का अभूतपूर्व अलख जगा रहे हैं। इस अवसर पर छात्र ‘‘पवित्र मन रखो, पवित्र तन रखो पवित्रता ही मनुष्यता की शान है, जो मन वचन कर्म से पवित्र है वह चरित्रवान ही यहाँ महान है’’ तथा ‘‘रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीताराम, ईश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको सन्मति दे भगवान’’ गीत-भजन गाकर सभी को उत्साहित करते हैं। सी0एम0एस0 के छात्र समय-समय पर अपने सामाजिक दायित्वों को समझते हुए इस प्रकार के सार्वजनिक कार्यक्रम जैसे पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने, जल संरक्षण करने, वृक्षारोपण करने आदि के माध्यम से लोगां को जागरूक करते आ रहे हैं एवं इसी कड़ी में विद्यालय के लगभग 50,000 छात्रों ने स्वच्छता अभियान की अभूतपूर्व पहल की है एवं स्वच्छ भारत, समृद्ध भारत का बीड़ा उठाया है।
(7) बच्चों के पूर्ण संतुलित विकास के लिए स्वच्छ, सुरक्षित एवं स्वस्थ शैक्षिक वातावरण आवश्यक है :-
हमारे विद्यालय के हाई स्कूल तथा इण्टरमीडिएट परीक्षाओं के साथ ही सभी कक्षाओं के परीक्षा परिणाम प्रतिवर्ष अत्यन्त ही उच्च कोटि के रहते हैं। इस अभूतपूर्व प्रदर्शन में हमारे विद्यालय की अनूठी एवं विस्तृत शिक्षा पद्धति का महत्वपूर्ण योगदान रहता है, जिसके अन्तर्गत हम अपने शिक्षकों एवं छात्रों को अपने विद्यालय के अन्दर सर्वोत्तम शैक्षिक, ईश्वरमय तथा साफ-सुथरा वातावरण भी प्रदान करते हैं। इस वातावरण को बनाने में विद्यालय के शिक्षकों के सर्वोत्तम ज्ञान व विद्यालय के कर्मचारियों के सहयोग से विद्यालय की साफ-सुथरी बिलि्ंडगों, कक्षाओं, सभी छात्रों को बिजली एवं स्वच्छ पानी, स्कूल बसों, स्कूल वैनों, तथा स्कूल रिक्शों की समुचित व्यवस्था, विभिन्न प्रयोगशालाओं में प्रयोग किये जाने वाले उपकरणों एवं कम्प्यूटरों आदि का भी स्वच्छ तथा सुव्यवस्थित करने में विशेष योगदान होता है।
(8) आइये, अपने घर, समाज व देश को स्वच्छ एवं सुन्दर बनाने का संकल्प लें :-
हमारा मानना है कि ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत देश के 1.25 अरब़ नागरिकों के समक्ष एक सुनहरा अवसर है जिसके तहत वे सारे देश को स्वच्छ एवं सुन्दर बनाकर बापू जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं। इसके लिए हम सभी को इस बात का संकल्प लेने के साथ ही साथ उसे पूरा भी करना होगा।