RBI जारी करने जा रहा है देसी वर्चुअल करेंसी!
नई दिल्ली: भले ही देश में अभी भी वर्चुअल करेंसी को कानूनी दर्जा न मिला हो लेकिन दुनियाभर में बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए भारत सरकार भी अब इसे गंभीरता से लेने लगी है। वित्त मंत्रालय का आर्थिक मामलों का विभाग इस बारे में दिशा निर्देश तैयार कर रहा है कि देसी वर्चुअल करेंसी की दशा और दिशा कैसी होगी। सूत्रों ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया है कि वर्चुअल करंसी की गाइडलाइंस का ड्राफ्ट इसी साल सितंबर तक तैयार हो जाएगा।
इस बारे में वित्त मंत्रालय रिजर्व बैंक और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानि सेबी से इस बारे में राय भी ले रहा है। हाल ही में वर्चुअल करंसी को लेकर वित्त मंत्रालय में गाइडलाइंस को अंतिम रूप देने को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक भी हुई थी।
मामले से जुड़े आधिकारिक सूत्रों की माने तो सरकार और रिजर्व बैंक वर्चुअल करंसी से जुड़ी क्रिप्टोग्राफी तकनीक के सकारात्मक पहलू पर गंभीरता से विचार कर रही है और ये तय करने की राह पर है कि भारत में उसे कैसे लागू किया जा सके। सूत्रों ने बताया कि देश हित में होने पर इसे लागू करने में रिजर्व बैंक जरा भी नहीं हिचकिचाएगा।
वित्त मंत्रालय, रिजर्व बैंक, सेबी और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया समेत कई आईटी कंपनियों के साथ भी चर्चा कर रहा है जो इस तकनीक के देश में बैंकिंग सिस्टम में लागू करने के अलग-अलग पहलुओं पर काम कर रही हैं।
क्रिप्टोकरंसी को वर्चुअल मनी कहते हैं। यूं तो ये नोटों की तरह दिखाई नहीं देती है यानी आपकी जेब में भी नहीं आती है। ये सिर्फ कम्प्यूटर पर आंकड़ों के तौर पर दिखाई देती है। इसी खूबी की वजह से इसे डिजिटल करंसी भी कहते हैं। इस डिजिटल करंसी की शुरुआत साल 2009 में हुई थी और इसके इस्तेमाल के लिए क्रिप्टोग्राफी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इसीलिए इसे क्रिप्टो करंसी भी कहा जाता है।
बिटकॉइन दुनिया के पहली क्रिप्टोकरंसी मानी जाती है। इस करंसी को दुनिया के किसी भी कोने में आसानी से ट्रांसफर किया जा सकता है और किसी भी प्रकार की करेंसी में कनवर्ट किया जा सकता है जैसे डॉलर, यूरो और रुपया। देखना होगा जब भारतीय रिजर्व बैंक देश में वर्चुअल करंसी की इजाजत देता है तो इसके इस्तेमाल पर कितनी छूट और कहां कहां लगाम लगाता है।