एंटीगुआ ने मेहुल चौकसी को भारत भेजने से किया साफ इनकार- सूत्र
नई दिल्ली : एंटीगुआ सरकार ने फरार आरोपी मेहुल चौकसी को भारत भेजने से साफ इंकार किया है. इसके साथ ही एंटीगुआ सरकार ने मेहुल को औपचारिक तौर पर गिरफ्तार करने से भी इंकार किया है. प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी है.
सूत्रों के मुताबिक, एंटीगुआ सरकार ने कहा कि उनका संविधान चौकसी की हिफाजत करता है, क्योंकि चौकसी को नियमों के मुताबिक नागरिकता दी गई है लिहाजा ना तो उसका पासपोर्ट रद्द किया जा सकता है और ना ही उसे प्रत्यर्पित किया जा सकता है. सूत्रों के अनुसार, एंटीगुआ सरकार ने राष्ट्रमंडल देश अधिनियम के तहत भारत का दावा नहीं माना. एंटीगुआ सरकार ने कहा कि भारत के साथ उसकी कोई प्रत्यार्पण संधि नहीं है.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले बीते नौ अगस्त को भारत की तरफ से कहा गया था कि एंटीगुआ और बारबुडा मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण को लेकर उसके अनुरोध पर गौर कर रहा है. चोकसी भारत के सबसे बड़ी बैंकिंग धोखाधड़ी के मामले में वांछित है और वर्तमान में इस कैरेबियाई देश में रह रहा है.
विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में एक भारतीय टीम ने गत तीन अगस्त को एंटीगुआ को चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए एक अनुरोध पत्र सौंपा था. चोकसी ने इस द्वीपीय देश की नागरिकता प्राप्त कर ली है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इस मुद्दे पर संवाददाताओं के सवालों का उत्तर देते हुए कहा था, ‘‘हमें बताया गया है कि वे (एंटीगुआ के प्राधिकारी) अनुरोध (प्रत्यर्पण) पर गौर कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि भारत के अनुरोध पर एंटीगुआ के प्राधिकारियों की क्या प्रतिक्रिया होगी.
दरअसल, भारत, चोकसी को एंटीगुआ से उस द्वीपीय देश के एक कानून के प्रावधान के तहत वापस देश लाने का प्रयास कर रहा है जो किसी निर्दिष्ट राष्ट्रमंडल देश में किसी भगोड़े को प्रत्यर्पित करने की बात करता है. पंजाब नेशनल बैंक के दो अरब डालर के घोटाले के सिलसिले में चोकसी विभिन्न आरोपों का सामना कर रहा है.
कुमार ने कहा था कि एंटीगुआ और बारबुडा के प्रत्यर्पण कानून, 1993 के तहत किसी भगोड़े को ऐसे किसी निर्दिष्ट राष्ट्रमंडल देश को प्रत्यर्पित किया जा सकता है, जिसके साथ सामान्य या विशेष व्यवस्था या एक द्विपक्षीय संधि है.