मुजफ्फरपुर रेप, हत्या केस में 13 अधिकारी निलंबित
पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका अल्पवास गृह यौन उत्पीड़न मामले में रविवार को समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक समेत 13 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया। समाज कल्याण विभाग के सूत्रों ने बताया कि विभाग के निदेशक राजकुमार के निदेर्श पर यह कार्रवाई की गई है। निलंबित अधिकारियों पर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस) की अंकेक्षण रिपोर्ट पर कार्रवाई में देर करने का आरोप है। विभाग की ओर से अल्पवास गृह के संचालन के लिये स्वंयसेवी संस्थाओं के कुल निधात बजट का 90 प्रतिशत अनुदान के रूप में दिया जाता है। इसी तरह इन संस्थाओं का चयन राज्य सरकार द्वारा निविदा प्रकाशित पर किया जाता है।
सूत्रों ने बताया कि जिन अधिकारियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई है उनमें सहायक निदेशक मुजफ्फरपुर दिवेश कुमार शमार्, सहायक निदेशक भोजपुर आलोक रंजन, सहायक निदेशक भागलपुर गीतांजलि प्रसाद, सहायक देशक मधुबनी कुमार सत्यकाम, सहायक निदेशक अररिया घनश्याम रविदास, सहायक निदेशक मुंगेर सीमा कुमारी, बाल संरक्षण पदाधिकारी पटना नवलेश कुमार सिंह, तत्कालीन बाल संरक्षण पदाधिकारी मुंगेर रंजन कुमार, तत्कालीन बाल संरक्षण पदाधिकारी भागलपुर रंजन कुमार, बाल संरक्षण पदाधिकारी गया मीराजुद्दीन सदानी, तत्कालीन बाल संरक्षण पदाधिकारी मधुबनी संगीत कुमार ठाकुर, तत्कालीन बाल संरक्षण पदाधिकारी मोतिहारी विकास कुमार और अधीक्षक पयेर्क्षण गृह अररिया मोहम्मद फिरोज शामिल हैं।
इससे पहले शनिवार को समाज कल्याण विभाग ने मुजफ्फरपुर सहित छह जिलों के सहायक निदेशक, बाल संरक्षण इकाई (एडीसीपी) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। विभाग द्वारा जारी निलंबन आदेश के अनुसार सभी निलंबित सहायक निदेशक, बाल संरक्षण इकाई पर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई की कोशिश टीम द्वारा किए गए सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्ट में संस्थान की संवासिनों के साथ मारपीट, अभद्र व्यवहार एवं अन्य अवांछित कार्य किए जाने की रिपोर्ट दिए जाने के बावजूद संस्थानों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई नहीं करने का आरोप है।