सरकार ने जस्टिस जोसेफ की वरिष्ठता घटाई, नाराज हुए सुप्रीम कोर्ट के जज
नई दिल्ली: केंद्र सरकार और कॉलेजियम के बीच लंबे समय तक चले टकराव के बाद सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति को हरी झंडी मिल गई है. हालांकि इस नियुक्ति को लेकर एक और विवाद शुरू हो गया है. दरअसल केंद्र सरकार ने जस्टिस जोसेफ की वरिष्ठता घटा दी है जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के कई जजों ने नाराजगी जाहिर की है.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस केएम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट की नियुक्ति के लिए इस साल जनवरी में उनका नाम केंद्र सरकार के पास भेजा था.
हालांकि तब सरकार ने यह कहते हुए उनका नाम पुनर्विचार के लिए भेज दिया था कि वह उतने सीनियर नहीं हैं और उनकी नियुक्ति से सुप्रीम कोर्ट में केरल के जजों की संख्या अधिक हो जाएगी. इसके बाद कॉलेजियम ने मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विनीत सरण के साथ उनका नाम जुलाई में दोबारा सरकार को भेजा.
सरकार ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय में उनकी नियुक्ति को हरी झंडी दे दी. हालांकि इस नोटिफिकेशन में सरकार ने जस्टिस जोसेफ का नाम तीसरे स्थान पर रखा. इस तरह उन्हें अन्य दो जजों से जूनियर बना दिया गया. इससे सीजेआई बननेऔर किसी भी बेंच की अध्यक्षता करने की उनकी संभावनाओं पर असर पड़ता है.
उम्मीद जताई जा रही है कि इससे नाराज जज सोमवार को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के सामने अपना विरोध जाहिर कर सकते हैं.
जस्टिस जोसेफ की नियुक्ति ने केंद्र और न्यायपालिका के बीच लंबे समय से जारी अनबन को खत्म कर दिया है. जस्टिस जोसेफ ने 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन की बीजेपी मांग को खारिज कर दिया था और हरीश रावत के नेतृत्व वाली प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार को मौका दिया था.
इससे पहले कॉलेजियम ने स्वास्थ्यगत कारणों का हवाला देते हुए जस्टिस जोसेफ को आंध्रप्रदेश और तेलंगाना हाईकोर्ट भेजने के सुझाव को लंबे समय तक सरकार की तरफ से पेंडिंग रखा गया था.
कॉलेजियम ने इस साल मई में जस्टिस जोसेफ का नाम भेजने के अपने फैसले को दोहराया था. हालांकि सुझाव जुलाई में भेजा. इस नियुक्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या बढ़कर 25 हो गई है. सीजेआई तीनों जजों को 7 अगस्त को शपथ दिलवा सकते हैं.