जस्टिस जोसेफ के सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता हुआ साफ़
सरकार ने मानी SC कॉलेजियम की सिफारिश
नई दिल्ली: उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट भेजे जाने का रास्ता अब साफ नजर आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार ने जस्टिस केएम जोसेफ के नाम पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश मान ली है। करीब चार महीने से जस्टिस जोसेफ के नाम को लेकर न्यायपालिका और सरकार में टकराव देखने को मिल रहा था। सूत्रों के मुताबिक अब जस्टिस जोसेफ के नाम को लेकर हो रहे विवाद को सुलझा लिया गया है। जस्टिस जोसेफ के साथ ही कानून मंत्रालय ने जस्टिस इंदिरा बनर्जी और विनीत शरण के नाम पर भी मुहर लगाई है। इस कदम से सुप्रीम कोर्ट में तीन नए जजों की नियुक्ति का रास्ता साफ हुआ है। 31 जजों वाले सुप्रीम कोर्ट मे अभी नौ जजों के पद खाली हैं।
बता दें, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इसी साल जनवरी में जस्टिस जोसेफ का नाम सरकार को भेजा था। इसके बाद कानून मंत्री रवि शंकार प्रसाद ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को अप्रैल महीने में खत लिखकर जस्टिस जोसेफ के नाम पर पुनर्विचार करने की बात कही थी। सरकार का कहना था कि जस्टिस जोसेफ से वरिष्ठ जज भी हैं, उन्हें छोड़कर इन्हें सुप्रीम कोर्ट नहीं भेजा जा सकता। साथ ही सरकार ने कहा था कि अगर जस्टिस जोसेफ के नाम पर मुहर लगाई जाती है तो सुप्रीम कोर्ट में केरल हाईकोर्ट से कोई जज नहीं होगा, जो कि क्षेत्रिय प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के खिलाफ होगा। इस पर विपक्षी दलों ने सरकार की आलोचना की थी, विपक्षी पार्टियों ने कहा था कि यह सरकार केवल उन्हीं जजों को चाहती है कि जो कि उसकी की नीतिओं से सहमत हैं।
गौरतलब है कि भारत के पास इस मैच को जीतकर पिछले 44 साल में पहली बार विश्वकप सेमीफाइनल में जगह बनाने का एक मौका था, लेकिन वह मैच हार गया। भारतीय टीम इस साल राष्ट्रमंडल खेलों में ओलंपिक चैंपियन इंग्लैंड से हारकर चौथे स्थान पर रही थी। भारत को अब 18 अगस्त से इंडोनेशिया में शुरू होने वाले एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के इरादे से उतरना होगा ताकि उसे सीधे ही 2020 के टोक्यो ओलंपिक का टिकट मिल सके। भारतीय टीम 1974 के विश्वकप में चौथे स्थान पर रहने के बाद 1978 में सातवें, 1983 में 11वें, 1998 में 12वें, 2006 में 11वें और 2010 में नौंवें स्थान पर रही थी।