यूपी में गठबंधन फाइनल, कांग्रेस ने बनाई शिवसेना से दूरी
नई दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सपा-बसपा और कांग्रेस का गठबंधन फाइनल हो गया है. जल्द ही सीटों पर भी अंतिम फैसला हो जाएगा. गठबंधन का दावा है कि इसके बाद यूपी में बीजेपी को 5 सेे ज्यादा सीटेें नहीं मिलेंंगी. कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि इस बारे में तीनों दलों के बीच कई स्तर की बातचीत हो गई है. बातचीत पर खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी नजर रखे हुए हैं. कांग्रेस का दावा है कि पार्टी को गठबंधन में सम्मानजनक सीटें मिलेंगी और वे उससे कहीं ज्यादा होंगी जिनके कयास मीडिया लगा रहा है.
सूत्रों ने बताया कि रायबरेली से सोनिया गांधी चुनाव लड़ेंगी या नहीं इसका फैसला वह खुद करेंगी. इस संबंध में अभी पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व अध्यक्ष के बीच बात नहीं हुई है. अगर सोनिया चुनाव नहीं लड़ेंगी तो प्रियंका के चुनाव लड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता. कांग्रेस का दावा है कि अगले आम चुनाव में वह पीएम नरेंद्र मोदी को सरकार से बाहर कर देगी. अगर बीजेपी को 230 से कम सीटें मिलती हैं तो नरेंद्र मोदी किसी सूरत में प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे.
शीर्ष नेता ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समान विचारधारा वाले दलों से गठबंधन करने के लिए तैयार है, लेकिन शिवसेना से गठबंधन होने की कोई उम्मीद नहीं है, क्योंकि उसकी विचारधारा कांग्रेस से अलग है. महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी मिलकर लड़ेंगे. कांग्रेस का दावा है कि यूपी और बिहार की 120 सीटों पर बीजेपी बुरी तरह हारेगी और पार्टी को भरोसा है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान छत्तीसगढ़ में उसकी सरकार बन रही है.
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस अध्यक्ष इन राज्यों में किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने के मूड में नहीं हैं. आम चुनाव पर पार्टी की रणनीति को लेकर कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व बहुत स्पष्ट है. पहला कदम है सभी दलों को एक साथ लाना. इस दौरान यह साफ है कि जिन राज्यों में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है या सत्ता में है, वहां कांग्रेस ही ज्यादा सीटों पर लड़ेगी, वहीं बाकी राज्यो में जहां कांग्रेस कमजोर है वहां, दूसरी पार्टियों को ज्यादा सीटें मिलेंगी. किसको कितनी सीटें मिलती हैं, उसके बाद ही तय किया जाएगा कि प्रधानमंत्री कांग्रेस का होगा या किसी दूसरे दल का.
सूत्रों की मानें तो दिल्ली में आम आदमी से पार्टी को लेकर राहुल गांधी ने अभी अपना मन नहीं बनाया है. चूंकि दिल्ली और तेलंगाना में वहां की सत्ताधारी पार्टियों से कांग्रेस सीधे लड़ाई लड़ रही है, इसलिए इन राज्यों में गठबंधन का अंतिम फैसला राज्य इकाइयों की सहमति से किया जाएगा. बहुत संभव है कि इन राज्यों में कांग्रेस अकेले ही चुनाव लड़े.