भारत को समझना है तो संस्कृत की शरण में जाना होगा: सीएम योगी
लखनऊ: मेधावी सम्मान समारोह के मंच से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछली सरकारों पर निशाना साधा। उनपर देवभाषा की उपेक्षा करने के आरोप लगाए। योगी ने कहा कि पिछली सरकारों की लापरवाही से संस्कृत परिषद का गठन ही नहीं हो पाया। 17 साल लग गए। एक पूरी पीढ़ी चली गई जो सरकारें शिक्षा, स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे सकते उनसे राष्ट्र के सम्मान, विकास की कल्पना नहीं कर सकते। हमने सरकार बनते ही परिषद का गठन किया। मुख्यमंत्री गुरुवार को राजधानी के विश्वेश्वरय्या प्रेक्षागृह में आयोजित मेधावी सम्मान समारोह-2018 में बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भारत को समझना है तो संस्कृत की शरण में जाना होगा। संस्कृत के विद्वानों से अपील कि वह इस देवभाषा को कैद न करें। कहा ,हम अपनी परम्परा को लेकर चलें यह अच्छी बात है। भारत की परम्परा कभी जड़वादी नहीं रही है। जहां, कहीं भी अच्छा हुआ है, प्रगति के स्वर फूटते दिखे हैं उसे स्वीकार करके आगे बढ़ें। उन्होंने संस्कृत को आधुनिकता से जोड़ने पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा है कि दुनिया ने स्वीकार किया की कंप्यूटर की सबसे सुगम भाषा संस्कृत है। मुख्यमंत्री ने संस्कृत के विद्वानों के सामने सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि ईमानदारी के साथ संस्कृत साहित्य पर काम ही नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री ने संस्कृत बोर्ड को अपनी वेबसाइट तैयार करने की नसीहत दी।
प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए प्रथमा, पूर्व मध्यमा एवं उत्तर मध्यमा की वर्ष 2018 में टॉप टेन स्थान पर रहे 40 मेधावियों को सम्मानित किया गया। प्रथम तीन स्थान पाने वाले होनहारों को एक लाख रुपये का चेक, टैबलेट, स्वर्ण पदक और प्रशस्ति पत्र दिया गया। चार से दस स्थान पाने वालों को 21 हजार रुपये का चेक, टैबलेट, स्वर्ण पदक और प्रशस्ति पत्र मिला। कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा, राज्यमंत्री संदीप सिंह, अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल, सचिव, संध्या तिवारी समेत माध्यमिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।