NRC पर मायावती ने की तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग
नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को असम में नेशनल रजिस्टर आॅफ सिटिजन्स (एनआरसी) ड्राफ्ट पर अपनी सख्त टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि एनआरसी के प्रकाशन के बाद 40 लाख से अधिक धार्मिक व भाषाई अल्पसंख्यकों की नागरिकता को लगभग समाप्त कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि यह लोगों का मानना है कि इस प्रकार केंद्र व असम में अपनी स्थापना का एक प्रमुख उद्देश्य बीजेपी एंड कंपनी ने प्राप्त कर लिया है.
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि असम में बरसों से रहने के बावजूद अगर वे लोग अपनी नागरिकता के संबंध में कोई ठोस सबूत नहीं दे पाए हैं, तो इसका ये मतलब नहीं है कि उनसे नागरिकता ही छीन ली जाए. उन्हें देश से बाहर निकालने का जुल्म ढाया जाए. उन्होंने कहा कि इन प्रभावित लोगों में ज्यादातर बंगाली मुसलमान हैं और भाषाई अल्पसंख्यकों में बंगला बोलने वाले गैर मुस्लिम बंगाली हैं. उन्होंने कहा कि बंगाल में भी इसका दुष्प्रभाव काफी ज्यादा पड़ने वाला है.
उन्होंने कहा कि बीजेपी व आरएसएस की संकीर्ण विभाजनकारी नीतियों का ही परिणाम है कि असम में आज ऐसा अनर्थ परिणाम सामने आया है. 31 दिसंबर 2018 को अंतिम सूची के प्रकाशन के बाद देश के लिए एक ऐसा उन्माद और सरदर्द बनकर उभरेगा, जिससे निपट पाना बहुत ही मुश्किल होगा. बसपा सुप्रीमो ने मांग की है कि केंद्र सरकार तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलाकर इसके संबंध में आवश्यक प्रभावी सुधारात्मक कार्रवाई करे.
मायावती ने कहा कि इस मामले में सब कुछ न्यायलय पर थोपना गलत है क्योंकि बीजेपी की सरकार पवित्र व न्यायलय के आदेशों की कितनी अवहेलना करती है यह आज सारा देश देख रहा है. ताजा मामला न्यायधीशों की नियुक्ति व ताजमहल को संरक्षित रखने का है, जिसके संबंध में सुप्रीम कोर्ट को बार-बार बीजेपी सरकारों को फटकार लगानी पड़ रही है.
मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में खासकर दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़े वर्गों व धार्मिक अल्पसंख्यकों में खासकर मुसलमानों के खिलाफ बीेजेपी की द्वेषपूर्ण राजनीति जारी है. इसी क्रम में मेरठ में बसपा की मेयर के पति व पूर्व विधायक योगेश वर्मा को फर्जी मुकदमों में जेल में डाल दिया गया है. दूसरी तरफ सहारनपुर में बसपा विधायक महमूद अली व इनके भाई इकबाल को गैंगस्टर एक्ट आदि में फंसाया जा रहा है.
मायावती ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस ने ही उत्तर प्रदेश में दलितों की एकता को प्रभावित करने के लिए पर्दे के पीछे से भीम आर्मी का गठन कराया. उन्होंने कहा कि अब लोेकसभा की चुनावी वर्ष में बीजेपी सरकारें और भी ज्यादा ज्यादाती करेंगीं.
शीर्ष अदालत के निर्देश पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का पहला मसौदा 31 दिसंबर 2017 और एक जनवरी, 2018 की दरम्यानी रात में प्रकाशित हुआ था। इस मसौदे में 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ नाम शामिल किये गये थे। असम राज्य 20वीं सदी के प्रारंभ से ही बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या से जूझ रहा है और यह अकेला राज्य है जिसके पास राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर है। पहली बार इस रजिस्टर का प्रकाशन 1951 में हुआ था। शीर्ष अदालत ने इससे पहले कहा था कि 31 दिसंबर को प्रकाशित असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के मसौदे में जिन लोगों के नाम नहीं हैं, उनके दावों की जांच पड़ताल बाद वाली सूची में की जायेगी और यदि वे सही पाये गये तो उन्हें इसमें शामिल किया जायेगा।