नई दिल्ली: बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बालिका आश्रय गृह में हैवानियत का खेल खेला जाता था। यहां रहने वाली लड़कियों की जिंदगी नर्क बन गई थी। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सायंस की टीम कशिश की रिपोर्ट में यहां रहने वाली लड़कियों के साथ हो रही दरिंदगी का खुलासा हुआ। इसके बाद जब जांच शुरू की गई तो कई बातों पर से पर्दा हट रहा है। यहां रहने वाली 42 लड़कियों की जब पटना के पीएमसीएच में मेडिकल जांच की गई तो उस समय 29 बच्चियों के साथ रेप की बात कही जा रही थी, लेकिन अब मुजफ्फरपुर की एसएसपी हरप्रीत कौर ने कहा कि 29 नहीं, बल्कि 34 बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ है। इनमें सात वर्ष से लेकर 13 वर्ष की बच्ची तक शामिल है। जांच के दौरान यह भी सामने आया है कि बलात्कार के बाद एक लड़की ने अपने हाथ की नश काटकर जान तक देने की कोशिश की। वहीं एक लड़की ने जब बलात्कार का विरोध किया और कमरे में आए एक व्यक्ति के सिर पर लकड़ी से हमला कर उसे घायल कर दिया तो उसके साथ दरिंदगी की गई। उसके प्राईवेट पार्ट को सिगरेट से दागा गया।

बालिका गृह की जांच के दौरान कई सारी हैरान करने वाली बातें सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बालिका गृह में रहने वाली लड़की ने पूछताछ के दौरान बताया कि यहां रह रही एक लड़की की हत्या भी की गई थी और उसके बाद कर्मचारी आलू के बोरे में भरकर उसे पुल के नीचे कचरे के पास फेंक दिया था। सभी लड़कियों को धमकी दी थी कि यदि किसी ने इस मामले पर अपनी मुंह खोली तो उसकी हत्या कर दी जाएगी। यहां खाना मांगने पर लड़कियों की पीठ पर गर्म पानी उड़ेल दिया जाता था। चिमटे से उनके शरीर को दागा जाता था। यही नहीं, लड़कियों को नींद के इंजेक्शन से लेकर जल्दी जवान करने वाली हार्मोनल दवाईयां भी दी जाती थी। पुरूष ही नहीं, बल्कि वहां काम करने वाली महिलाएं भी इन लड़कियों का यौन शोषण करती थी।

बता दें कि मामले का खुलासा होने पर बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर, रवि कुमार रौशन, किरण कुमारी सहित कुल 10 आरोपियों गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। वहीं, एक अन्य आरोपी दिलीप कुमार अभी फरार है। वहीं, इस मामले में समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के पति चंदेश्वर वर्मा पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। विपक्ष भी सरकार पर हमलावर है। फिलहाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पूरे मामले की जांच के लिए सीबीआई से करने का निर्देश दे दिया है।