नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में रेल अधिकारी कैसे आंकड़ों को तोड़ मरोड़कर अपनी नाकामी छुपा रहे हैं, इसका खुलासा सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा भारतीय रेल का ऑडिट करने पर यह बात सामने आई कि अधिकारी कागजों पर 409 किलोमीटर की हाईस्पीड से ट्रेनें दौड़ा रहे हैं। यह बुलेट ट्रेन की स्पीड (320 किलोमीटर/प्रतिघंटा) से बहुत ज्यादा है। इकॉनोमिक टाइम्स के मुताबिक अधिकारियों ने कागज पर इलाहाबाद से फतेहपुर के बीच 116 किलोमीटर का सफर मात्र 17 मिनट में दर्ज कराया है। यह सरासर गलत डाटा है, जिसे फीड किया जा रहा है और लेट लतीफ ट्रेनों को कागजों पर समय से पहुंची हुई ट्रेनें बताई जा रही हैं।

सीएजी ने जब यूपी के ट्रेनों के डाटा की ऑडिटिंग की तो पता चला कि प्रयाग राज एक्सप्रेस, जयपुर-इलाहाबाद एक्सप्रेस और नई दिल्ली-इलाहाबाद दुरंतो एक्सप्रेस के डाटा में कई खामियां हैं। सीएजी की रिपोर्ट ने इंटिग्रेटेड कोचिंग मैनेजमेंट सिस्टम (आईसीएमएस) की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े किए हैं। आईसीएमएस ही देशभर की ट्रेनों के समय पर चलने की निगरानी और रेल संचालन का रियल टाइम डाटा फीड करता है। सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2016-17 में प्रयाग राज एक्सप्रेस, जयपुर-इलाहाबाद एक्सप्रेस और नई दिल्ली-इलाहाबाद दुरंतो एक्सप्रेस क्रमश: कुल 354, 343 और 144 दिन चले। तीनों ट्रेनों ने फतेहपुर और इलाहाबाद के बीच की 116 किलो मीटर की दूरी औसतन 53 मिनट से कम समय में पूरी की है वो भी एक दिन नहीं बल्कि क्रमश: 25, 29 और 31 दिन, जबकि रेलवे के अधिकारी कहते हैं कि 130 किलो मीटर प्रति घंटे की स्पीड की दर से इसे 53 मिनट में पूरा किया जाना चाहिए।

सीएजी की रिपोर्ट कहती है कि कागजों पर दर्ज आंकड़ों के मुताबिक 9 जुलाई, 2016 को इलाहाबाद दुरंतो एक्सप्रेस फतेहपुर जंक्शन पर सुबह 5.53 बजे पहुंची जबकि इलाहाबाद जंक्शन पर यह ट्रेन सुबह 6.10 बजे पहुंची। यानी 116 किलो मीटर की दूरी इस ट्रेन ने 409 किलो मीटर प्रति घंटे की स्पीड से मात्र 17 मिनट में तय की है। बता दें कि दिल्ली-हावड़ा रेलखंड पर अक्सर ट्रेनें लेट चलती हैं। खासकर इलाहाबाद से मुगलसराय और इलाहाबाद से कानपुर के बीच ट्रेनों घंटों-घंटों रेंगती रहती है। लिहाजा, अपने गंतव्य पर ट्रेनें कई घंटे की देरी से पहुंचती है। इस बात की भी शिकायत की गई थी कि ट्रेनों गंतव्य पर लेट से पहुंचती हैं लेकिन रेलवे सिस्टम में उसे समय पर या कम देरी से पहुंचा हुआ बताया जाता है। यानी सीएजी रिपोर्ट ने उन शिकायतों पर मुहर लगा दी है।