मुंबई में विगत 21 जुलाई को आयोजित एक समारोह में महाराष्ट्र के उद्योग और खनन मंत्री सुभाष देसाई और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्यामल मिश्रा की मौजूदगी में प्लास्टिक निर्यात संवर्धन परिषद ने वित्त वर्ष 16 (2015-16) और वित्त वर्ष 17 (2016-17) के लिए शीर्ष निर्यातकों को काउंसिल अवार्ड्स से सम्मानित किया। भारत के प्लास्टिक निर्यात ने वर्ष 2017-18 के दौरान 17.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 8.8.85 बिलियन डॉलर का निर्यात किया, जबकि वर्ष 2016-17 में 7.56 बिलियन अमरीकी डॉलर का कारोबार किया था। प्लेक्सकॉन्सिल के अनुसार भारत से कुल निर्यात की मात्रा तेज गति से बढ रही है।
इस अवसर पर महाराष्ट्र के उद्योग और खनन मंत्री श्री सुभाष देसाई ने प्लास्टिक उद्योग के लिए विशेष क्लस्टर, अनुसंधान एवं विकास केंद्र और काॅमन शेयरिंग फेसिलिटी की घोषणा की। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री श्यामल मिश्रा ने प्लास्टिक उद्योग से आग्रह किया कि उसे दुनियाभर के मौजूदा और नए बाजारों में अपनी उपस्थिति को बढाने का प्रयास करना चाहिए। समारोह में श्री ए के बसाक (चेयरमैन, प्लेक्सकाॅन्सिल), श्री प्रदीप ठक्कर (निवृत्तमान चेयरमैन, प्लेक्साकाॅन्सिल), श्री श्रीबाश दासमोहपात्र (ईडी, प्लेक्सकाॅन्सिल) और श्री रवीश कामत (रीजनल चेयरमैन-सदर्न रीजन, प्लेक्सकाॅन्सिल) भी उपस्थित रहे।

पुरस्कार प्राप्त करने वालों में अन्य के अलावा रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, गरवारे वॉल रोप्स लिमिटेड, गरवारे पॉलिएस्टर लिमिटेड, सुप्रीम इंडस्ट्रीज लिमिटेड, ग्रीनलेम इंडस्ट्रीज लिमिटेड, जैन इरिगेशन सिस्टम्स लिमिटेड, मेरिनो इंडस्ट्रीज लिमिटेड, पॉलीप्लेक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड, फ्लेक्सिटफ इंटरनेशनल लिमिटेड, वैकमेट इंडिया लिमिटेड, सीआरआई लिमिटेड, प्राइमा प्लास्टिक लिमिटेड, शीला फोम प्रा लिमिटेड, कोंडोर फुटवियर (इंडिया) लिमिटेड, नेशनल प्लास्टिक इंडस्ट्रीज लिमिटेड, पॉली मेडिक्योर लिमिटेड, आईवीएल धनसेरी पेट्रोकेम इंडस्ट्रीज प्रा लिमिटेड, टोक्यो प्लास्ट इंटरनेशनल लिमिटेड, प्रिंस कॉर्प, जिलेट डाइवर्सिफाइड ऑपरेशंस (प्रा) लिमिटेड, भीम पॉलीफैब इंडस्ट्रीज, फ्लेयर राइटिंग इंडस्ट्रीज लिमिटेड और लिंक पेन एंड प्लास्टिक्स लिमिटेड शामिल हैं।
महाराष्ट्र के माननीय उद्योग और खनन मंत्री श्री सुभाष देसाई ने कहा, ‘‘प्लेक्सकाॅन्सिल के इस अवार्ड समारोह में शामिल होते हुए मुझे प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। एक उद्योग के तौर पर प्लास्टिक लंबे समय तक कायम रहेगा और देश की अर्थव्यवस्था में प्लास्टिक कारोबार की एक बडी भूमिका है। यह हमारे देश के लिए नौकरियांे का सृजन करता है और समृद्धि लाने में भी सहायक है। वैश्विक व्यापार में हमारा हिस्सा बहुत छोटा है और भारत वैश्विक निर्यात के लिहाज से अपना योगदान बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। प्लास्टिक एक ऐसा उद्योग है जहां हम दुनिया में निर्यात बढ़ा सकते हैं। महाराष्ट्र ने अनुसंधान और विकास, प्रौद्योगिकी और उद्यमियों के लिए सीपीईटी जैसे कई पहल की हैं। हमने महाराष्ट्र राज्य में 10 टैक्सटाइल पार्क और 5 रक्षा निर्माण सुविधाओं को विकसित करने की योजना बनाई है। हम प्लास्टिक उद्योग के लिए एक विशेष समूह पर सक्रिय रूप से विचार कर रहे हैं जहां इन सुविधाओं तक पहुंच के लिए सभी प्रकार के प्लास्टिक निर्माताओं और निर्यातकों के लिए आम सुविधा केंद्र उपलब्ध होंगे। हम परिषद की मदद से प्लास्टिक उद्योग में विभिन्न बड़े, मध्यम और छोटे समूहों के लिए भूखंड आरक्षित कर सकते हैं। साथ ही हम प्लास्टिक उद्योग के लिए आर एंड डी केंद्र भी बनाना चाहते हैं। मैं प्लास्टिक की रीसाइकलिंग के लिहाज से अभिनव रचनात्मक विचारों के बारे में सोचने के लिए परिषद और उद्योग के अग्रणी लोगों से अपील करता हूं। कारोबार में आसानी के लिहाज से हालांकि महाराष्ट्र की रैंकिंग घट गई, लेकिन हमने तुरंत कदम उठाते हुए जरूरी संशोधन किए हैं और ‘मैत्री‘ नामक एक आम सुविधा मंच बनाया है – इसके तहत 18 विभिन्न विभाग व्यवसायियों और उद्यमियों के लिए एकल खिड़की की सुविधा बनाने के लिए एक साथ आए हैं। हमें पूरा भरोसा है कि महाराष्ट्र कारोबार करने में सुविधा और आसानी के लिहाज से अपनी अग्रणी स्थिति को फिर से हासिल करेगा।‘‘
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री श्यामल मिश्रा ने कहा, ‘‘इस अवसर पर मैं गुणवत्ता और विश्वसनीयता पर विशेष जोर देने के साथ, प्लास्टिक निर्यात में वृद्धि के लिए अपने जबरदस्त प्रयासों के लिए निर्यातकों को बधाई देता हूं। मुझे आशा है कि संगठन निर्यात बढ़ाने के लिए आने वाले समय में आवश्यक कार्रवाई करने के लिए एक मंच तैयार करेगा। भारत के प्लास्टिक निर्यात ने वर्ष 2017-18 के दौरान 17.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 8.8.85 बिलियन डॉलर का निर्यात किया, जबकि वर्ष 2016-17 में 7.56 बिलियन अमरीकी डॉलर का कारोबार किया था। इसका अर्थ यह हुआ कि भारत से कुल व्यापार निर्यात तेज गति से बढ रहा है। एक उद्योग के रूप में, हमें एक साथ बैठने और निर्यात रणनीति को तैयार करने की आवश्यकता है, ताकि हम इस उद्योग को अगले स्तर पर ले जा सकें। वित्त वर्ष 18 में भारत के कुल व्यापार निर्यात के मुकाबले 3 प्रतिशत कम है लेकिन हमें इसे दोगुना करने के लिए काम करने की जरूरत है। प्लास्टिक के निर्यात में असाधारण संभावनाएं हैं और हमें मौजूदा बाजारों (फ्रांस, जापान, जर्मनी इत्यादि) में उपस्थिति बढ़ाने के साथ लेटिन अमेरिका, अफ्रीका, सीआईएस और एशिया जैसे नए बाजारों की खोज करने की आवश्यकता है। हमारे निर्यात में कच्चे माल का अनुपात अभी भी बहुत अधिक है और हमें मूल्यवर्धित उत्पाद निर्यात को लक्षित करने की आवश्यकता है। हमें इंजीनियरिंग प्लास्टिक्स, बायो प्लास्टिक्स और बायो पाॅलीमर्स जैसे मूल्यवर्धित उत्पादों के निर्यात में वृद्धि करना चाहिए। हम नए खिलाड़ियों को सलाह देने के लिए उद्योग के अनुभवी और अग्रणी लोगों से आग्रह करते हैं और उन्हें उत्कृष्टता के लिए प्रोत्साहित करते हैं। हमें उम्मीद है कि प्लास्टिक निर्यातक भारत को 5 ट्रिलियन अमरीकी डालर वाली अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेंगे।‘‘