लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जयंती एवं शहीद चन्द्रशेखर आजाद जयंती के अवसर पर लखनऊ के लालबाग चैराहा स्थित आयोजित कार्यक्रम में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर महापौर डाॅ0 संयुक्ता भाटिया, पूर्व महापौर श्री दाऊजी गुप्त, शहीद स्मृति समारोह समिति के अध्यक्ष श्री उदय खत्री, श्री सुनील शास्त्री सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। राज्यपाल ने इस अवसर पर हर वर्ष ऐसे समारोह में उपस्थित रहने वाले समाजसेवी स्वर्गीय भय्याजी का स्मरण कर उन्हें भी श्रद्धांजलि अर्पित की।

राज्यपाल ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अंग्रेजों ने बाल गंगाधर तिलक को भारत में ‘असंतोष का जनक’ की उपाधि दी थी। देश आजाद हो इसके लिए हर आदमी को जागृत करने के लिए बाल गंगाधर ने गणपति महोत्सव एवं छत्रपति शिवाजी उत्सव का सार्वजनिक रूप से आयोजन प्रारम्भ किया। इसी दृष्टि से उन्होंने दैनिक ‘केसरी’ मराठी में तथा अंग्रेजी में ‘मराठा’ जैसे समाचार पत्र भी प्रारम्भ किए। लोकमान्य तिलक के अग्रलेख पढ़ने योग्य एवं प्रेरणादायक होते थे। उन्होंने कहा कि जेल में रहते हुए बाल गंगाधर तिलक ने ‘गीता रहस्य’ जैसी पुस्तक लिखने का कार्य किया।

श्री नाईक ने कहा कि चन्द्रशेखर आजाद ने स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभायी। शहीद चन्द्रशेखर आजाद का लखनऊ से गहरा नाता है। शहीद चन्द्रशेखर आजाद ने क्रांतिकारी साथियों के साथ काकोरी में टेªन से अंग्रेजों के सरकारी खजाने को लूटकर देश को आजाद कराने का काम आगे बढ़ाया। चन्द्रशेखर आजाद का प्रण था कि आजादी का काम करते हुए मैं अंग्रेजों के हाथ नहीं मरना चाहूंगा इसलिये उन्होंने संघर्ष करते हुए अपना आत्म बलिदान दिया।

राज्यपाल ने कहा कि लोकमान्य तिलक और चन्द्रशेखर आजाद जैसे महापुरूषों ने स्वराज्य प्राप्त करने के लिये काम किया और समाज को वैचारिक दृष्टि से भी जागरूक किया। इन सभी के कार्यों से देश को स्वराज्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि आज के अवसर पर हमें स्वराज्य को सुराज में परिवर्तित करने का संकल्प लेना चाहिए, यही महापुरूषों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

इस अवसर पर महापौर डाॅ0 संयुक्ता भाटिया ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक एवं शहीद चन्द्रशेखर आजाद को अपनी श्रद्धांजलि दी।