इरम एजूकेशनल सोसाइटी में जल्सए प्यामे इंसानियत व दस्तारबंदी का आयोजन

मोहम्मद आरिफ नगरामी

लखनऊ: इरम एजूकेशनल सोसाइटी इन्दिरानगर के जेरे एहतेमाम लखनऊ के हुसैनबाद मोहल्ले में इल्म व दीन की तालीम देने वाले मदरसए सैय्यद अहमद शहीद व दारे इरम के 60 तलबा की आज इरम गल्र्स डिग्री कालेज में दस्तारबंदी की गयी। तकरीब दस्तारबंदी में 60 तलबा की दस्तारबंदी अकाबिर उलमाए किराम के हाथों की गयी। तकरीब की सदारत दारूल उलूम नदवतुल उलमा के प्रिंसिपल डा. मौलाना सईदुर्रहमान आजमी नदवी ने की। उन्होंने अपनी तकरीर में तलबा को मुबारकबाद देते हुए कहा कि अल्लाह ताला अपनी किताब उन्हीं लोगों को देता है जो काबिले एतमाद हों और कुरआन करीम की हिफाजत के लिए ईमान जरूरी है। अल्लाह ताला ने इन बच्चों के ईमान को कुबूल कर लिया है जिनकी दस्ताबंदी हो रही है। इन तलबा के सर पर जो पगड़ी बांधी गयी वह उनका एजाज है वह मोमिन हैं। उन्होंने कहा कि कुरआन का निजाम मुकम्मल निजाम है और कुरआन पर कोई गालिब नहीं आ सकता।

जल्सए पैयामे इंसानियत और दस्तारबंदी में इल्म की अहमियत और जरूरत पर रौशनी डालते हुए इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि इंसानी समाज के लिए इल्म की अहमियत आज एक तस्लीम शुदा हकीकत है। लेकिन उसकी आवाज सबसे पहले इस्लाम ने बुलंद की। सरकारे दोआलम स.अ. सबसे पहले वही मंे इल्म की तरफ तवज्जो दिलायी और पढ़ने का हुक्म दिया गया।

जल्से में दारूल उलूम फारूकिया काकोरी के मोहतमिम और मुल्क के मशहूर आलिमेदीन मौलाना अली फारूकी ने अपने खिताब में कुरआने हकीम हासिले कुरआन और तिलावते कुरआन का व मुकाम व मर्तबा बताते हुए कहा कि कुरआन मजीद अल्लाह का कलाम और उसकी सिफते खास है दीगर अल्फाज में उसको जो मकाम हासिल है वह कायनात में किसी को हासिल नहीं है अल्लाह ताला ने कुरआने हकीम को अपने बंदो के लिए रहबर बनाया कर नाजिल फरमाया।

जल्सए पयामे व इंसानियत में सरदार राजेंद्र सिंह बग्गा, लखनऊ यूनिवर्सिटी की साबिक वीसी प्रो. रूपरेखा वर्मा, वंदना मिश्रा, प्रो. रमेश दीक्षित और मनकामेश्वर मंदिर की महंत दिव्यागिरी ने मुल्क में इंसानियत के मजहब के फरोग देने पर जोर दिया और कहा कि आज मुल्क में दो बड़े फिरकों के दरमियान गहरी खाई खोदने की साजिशें हो रही हैं। जिसको नाकाम बनाना है। आज वह लोग हिंदुस्तान हुकूमत पर विराजमान हैं। जिनका जंग आजादी है किसी तरह का किरदार नहीं था। यह मुल्क हम सबका है किसी एक फिरके का नहीं है। आइए आज मदारे वतन को बचाने के लिए हम सब मुत्तहिद हो जाए।

जल्सए पयामे इंसानियत व दस्तारबंदी में मौलाना मुस्ताक नदवी, मौलाना सूफियान निजामी, राशिद अली मीनाई, हिमामुल इसलाम, डात्र सुल्तान शाकिर हाशमी, मोहम्मद खालिद, रिजवान अहमद (साबिक डीजीपी) सैय्यद जियाउल हसन, शकील गयावी, डा. मंसूर हसन, रफत शैदा सिद्दीकी, डा. हस्सान नगरामी, वकार रिजवी, अरशद आजमी, मनीष शुक्ला, मोहम्मद अहमद शहंशाह, डा. हिमायत जायसी, मो. राशिद खान, मोहतरमा सलमा हिजाब, मोहतरमा सहर सुल्तान, मोहतरमा आरिफा सीमा खान, परवेज मलिक जादा, मौलाना अब्दुल्लाह मकदूनी, मौलाना फरमान नदवी, महताब हैदर सफीपुरी, डा. तारिक कमर, अकील जमीर हुसैन, वसीम हैदर, डा. अब्दुल हलीम कासमी, कारी उबैदुर्रहमान, डा. हारून रशीद के अलावा बहुत बड़ी तादाद में अमायेदीने शहर मौजूद थे।

जल्सए पयामे इंसानियत व दस्तारबंदी की निजामत के फरायज लखनऊ यूनिवर्सिटी के शोबए उर्दू के सदर डा. अब्बास रजा नैय्यर और मशहूर शायर रफत शैदा सिद्दीकी ने अंजाम दिये। जल्से के मेजबानी के फराएज मोहम्मद आरिफ नगरामी, डा. तारिक हुसैन और मोहम्मद अहमद शहंशाह ने अंजाम दिये।

आखिर में इरम एजूकेशनल सोसाइटी के बानी व मैनेजर डा. ख्वााजा सैय्यद मोहम्मद यूनुस ने तमाम मेहमानों का शुक्रिया अदा करते हुए बताया कि इरम सोसाइटी में आज से 70 साल पहले बारूदखाने के एक छोटे से और बोसिदा कमरे में इल्म के फरोग का जो सुनहरा ख्वाब देखा था उसकी ताबीर अब सच साबित होते दिखाई पड़ रही है आज राजधानी लखनऊ और बाराबंकी में सोसाइटी के तहत 56 तालीमी इदारे दोनों शहरों को इल्म की शमा से रोशन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इंशा अल्लाह बहुत जल्द बाराबंकी रोड पर इरम एमबीबीएस मेडिकल कालेज संगे बुनियाद भी रखा जएगा।