नई दिल्ली: रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि पंजाब की सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए उनके कर्ज माफ कर दिए, इसके बावजूद उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ है। सरकार द्वारा जिन किसानों का कर्ज माफ किया गया, अब बैंक उन्हें दुबारा कर्ज नहीं दे रही हैं। नतीजा यह हो रहा है कि वे एक बार फिर से साहूकारों से मजबूरन कर्ज ले रहे हैं। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब समेत देश के कई राज्यों में किसानों की कर्जमाफी पर भारतीय रिजर्व बैंक ने आपत्ति जताई है। जुलाई में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि इससे जहां राज्यों की आर्थिक हालत पर बुरा असर पड़ा है, वहीं, किसानों को विशेष फायदा नहीं हुआ। खेती की पैदावार नहीं बढ़ी।

भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्ज माफ करने के बाद राज्य सरकार का वित्तीय घाटा बढ़ गया है। बैंक भी किसानों को कर्ज नहीं देरहे हैं। इस वजह से किसान एक बार फिर साहूकारों के जाल में फंस रहे हैं। बता दें कि जब यूपीए की मनमोहन सिंह की सरकार में किसानों का कर्ज माफ किया गया था, उस समय भी भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा था कि इससे किसानों को कुछ राहत तो मिली है, लेकिन न तो पैदावार बढ़ा है और न हीं खेती में निवेश बढ़े हैं। वहीं, बैंकिंग सिस्टम पर बुरा असर पड़ा है। किसान दूसरे जगह से भी लिए गए कर्ज को वापस नहीं कर रहे हैं।

गौरतलब है कि पिछले दो सालों में पंजाब, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडू, महाराष्ट्र व कर्नाटक में किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की गई। वहीं, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में वर्ष 2014 में किसानों का कर्ज माफ किया गया था। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 24-24सौ करोड़, पंजाब, महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश ने 34-34 सौ करोड़ की राहत दी गई। वहीं राजस्थान में आठ सौ करोड़ करोड़ की राहत दी गई। पंजाब के किसानों पर अभी भी 80 हजार करोड़ रूपये का कर्ज है। भारतीय रिजर्व बैंक भले ही कर्ज माफी को सही नहीं मानती है। कई अर्थशास्त्री भी कहते हैं कि इससे किसान भविष्य में भी कर्ज लेकर जमा करने की जगह इस बात का इंतजार करेंगे कि कब सरकार इसे माफ करती है। वहीं, किसान चाहते हैं कि उनके पूरे कर्ज को माफ कर दिया जाए।