नई दिल्ली: लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने बुधवार को टीडीपी और कांग्रेस पार्टी सहित विपक्ष द्वारा एनडीए सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर दिया. अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में शुक्रवार को चर्चा होगी. विपक्ष पिछले सत्र में भी अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन सदन में हंगामे की वजह से प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल सकी.

सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा, 'अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार हैं. अब दूध का दूध और पानी का पानी होगा.' संख्या बल के लिहाज से लोकसभा में सरकार के पास पर्याप्त बहुत है. इसलिए सरकार पर फिलहाल कोई संकट नहीं है, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों को अपनी बात करने का मौका मिलेगा. जनता दोनों की बात सुनकर ये तय कर सकेगी कि कौन सही है और कौन गलत. विपक्ष मोदी सरकार को पूरी तरह असफल बताता है जबकि सरकार का कहना है कि उसकी उपलब्धियां अभूतपूर्व हैं.

सदन में कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया सिंधिया ने कहा, 'सरकार ने किसानों को आत्महत्या करने के लिए छोड़ दिया, हर दिन महिलाओं के साथ रेप हो रहे हैं… हम आपके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं.' इससे पहले लोकसभा की कार्रवाई हंगाने के साथ शुरू हुई और सपा और टीडीपी के सांसद सदन में आकर हंगामा करने लगे.

प्रश्न काल की शुरुआत होते ही विपक्ष दल नारेबाजी करने लगे. लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि वो जो मुद्दे उठाना चाह रहे हैं, उन पर प्रश्नकाल के बाद चर्चा कर सकते हैं, लेकिन हंगामा नहीं थमा. इस बीच टीडीपी के सदस्य तख्तियों के साथ गैलरी में आ गए और नारेबाजी करने लगे.

अविश्वास प्रस्ताव से फिलहाल सरकार पर कोई संकट नहीं है. लेकिन अब सरकार के सहयोगी दल उसके साथ कुछ मोलतोल कर सकते हैं, क्योंकि सरकार चाहेगी कि उसके पास अधिक से अधिक संख्या बल हो. इसके साथ ही बीजू जनता दल का रुख भी स्पष्ट हो जाएगा कि वो एडीए का साथ देगा या फिर अलग राह अपनाएगा.

कांग्रेस की कोशिश है कि अविश्वास प्रस्ताव पर पूरे विपक्ष को एकजुट करे. इसके साथ ही जिन मुद्दों पर वो सरकार को घेरती आई है, उन्हें सदन में उठाने का एक अच्छा अवसर मिलेगा. ऐसे में लोकसभा चुनावों से कुछ महीने पहले आने वाले इस अविश्वास प्रस्ताव का परिणाम तय होने बावजूद इसका असर बहुत गहरा होगा.